विमलेश मिश्रा/मंडला: हमारे जीवन में शिक्षक की अहम भुमिका होती है. हर टीचर अपने छात्रों को पढ़ाने के लिए अलग-अलग तरीके अपनाते हैं. ऐसे में आज शिक्षक दिवस के मौके पर आज हम आपको प्राथमिक शाला के एक ऐसे शिक्षक से मिलवाते है जो बच्चो को आकर्षित करने के लिए कबाड़ से जुगाड़ कर शिक्षा देते हैं. वे बच्चों को अ से अनार से लेकर ज्ञ से ज्ञानी तक की शिक्षा को किताबों में नहीं पढ़ाते हैं. शिक्षक ने छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के लिए अपने स्कूल के मैदान गेट से लेकर स्कूल तक की कक्षाओं तक ऐसी आकर्षक कलाकारी की है कि अगर कोई बच्चा स्कूल में आ जाए तो बिना सीखे नहीं जा सकता है. 


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बच्चों को आकर्षित करने के लिए अपनाई नई पद्धति
दरअसल जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर आदिवासी बाहुल्य गांव है टिकरिया, जहां के प्राथमिक शाला टिकरिया के शिक्षक प्रियदर्शन पटैल के नवाचार ने बच्चों की शिक्षा के लिए बेहतरीन पद्धति अपनाई है. यहां के शिक्षक ने स्कूल के गेट से लेकर कक्षा की दिवारों तक को पाठ्य सामग्री से रंग दिया है. जहां हिन्दी के अ से लेकर ज्ञ तक के शब्दों को अपने किचन के गार्डन से तैयार किया है. वहीं अंग्रेजी और गणित के शब्दों को कबाड़ से जुगाड़ और टायरों के माध्यम से आसान कर दिया है. प्राथमिक शाला के सहायक शिक्षक प्रियदर्शन पटैल बच्चों में पढ़ाई की रुचि जगाने के लिए खेल-खेल में गणित और अन्य विषयों की शिक्षा दे रहे हैं. इसके लिए कबाड़ से जुगाड़ पद्धति अपनाते हैं. 


खेल-खेल में कराते हैं पढ़ाई
अ से ज्ञ तक के शब्दों को सिखाने के लिए पेड़ों और पौधो की मदद, कंकड़, पत्थर के अलावा गाड़ियों के पहिए समेत खुद ही नांच-नाच कर गणित के सवालों को हल कराते हैं. इसके साथ ही बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके इसके लिए शिक्षक ने स्कूल में स्मार्ट टीवी और कम्प्यूटर भी लगा रखा है, जिसके माध्यम से बच्चों को हर वो शिक्षा दी जा सके जो प्राइवेट स्कूलो में दी जाती है. स्कूल में आने वाले बच्चे भी कभी पढ़ते समय बोर नहीं होते हैं. आलम ये है कि बच्चे रोजाना ही स्कूल पहुंचते है और खेल-खेल में शिक्षा ग्रहण करते हैं. आपको जानकर ये हैरानी होगी कि पहली से पांचवी तक के पढ़ने वाले बच्चो को अपनी गांव के सरकार के नेताओं से लेकर प्रधानमंत्री तक का नाम मालूम है. 


कबाड़ की जुगाड़ से किया नवाचार
नवाचार की शुरुआत करने वाले शिक्षक बताते है कि हमारे यहां तीनों तरफ प्राइवेट स्कूल है, ऐसे में बच्चों को और उनके परिजनों को कैसे अपने तक जोड़े इसके लिए कबाड़ से जुगाड़ कर नवाचार किया है. शिक्षक बताते है कि बच्चों को स्कूल में 6 घंटो तक रोकने और उन्हें अच्छी शिक्षा देने के लिए खेल-खेल में पढ़ाई कराते हैं. स्कूल में पढ़ाई के अलावा बरगद के पेड़ के नीचे बच्चों को ध्यान करना भी सिखाया जाता है.


प्रधानाचार्य ने की शिक्षक की तारीफ
स्कूल के प्रधानाचार्य बालसिंह गोठारिया बताते हैं कि बच्चों के हम दोस्त बनकर हम उन्हें पढ़ाई कराते हैं और शिक्षक प्रियदर्शन पटेल का बच्चों के प्रति काफी लगाव है, जिस वजह से बच्चों के लिए नए-नए नवाचार करते रहते हैं. स्कूल के प्रधानाचार्य अपने सहायक शिक्षक की जमकर तारीफ की.


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