नई दिल्लीः केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज मध्य प्रदेश दौरे पर आ रहे हैं. मध्य प्रदेश में पहली बार हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई कराने की तैयारी की जा रही है. इसी के तहत गृहमंत्री अमित शाह मेडिकल की हिंदी की किताबों का विमोचन करेंगे. हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई को ऐतिहासिक और भारतीय भाषाओं के सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम बताया जा रहा है. हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई से आखिर क्या बदलाव आएगा? और मातृभाषा में शिक्षा लेने का क्या फायदा होता है? आइए समझने की कोशिश करते हैं.


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मातृभाषा में पढ़ाई क्यों है जरूरी?


भारत के शैक्षणिक संस्थानों में आजकल इस बात की चिंता देखी जा रही है कि छात्रों में सृजनशीलता की कमी हो रही है. जो शोध हो रहे हैं, उनमें दोहराव है और मौलिकता का अभाव है. हमारे देश में स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज की संख्या तो लगातार बढ़ रही है लेकिन शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं हो रहा है. विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी बड़ी वजह मातृभाषा में पढ़ाई का अभाव.


कहा जाता है कि मातृभाषा में हम ज्यादा बेहतर और गहराई से सोच सकते हैं. चूंकि हमारे देश में पढ़ाई में अंग्रेजी का बोलबाला है तो उसने अनुवाद को बढ़ावा दिया है और मौलिकता कहीं ना कहीं पीछे छूट गई है. देश के पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने एक बार अपने एक लेख में लिखा था कि समाज-संस्कृति से भाषा का विकास होता है और यह हमारी पहचान होती है. अंग्रेजी के वैश्विक भाषा बनने के बाद हम उसके प्रभाव में इतना आ गए हैं कि हम अपनी मातृभाषा, अपनी पहचान से दूर हो रहे हैं. यूनेस्को ने भी कहा है कि भाषा, संवाद से कहीं आग की चीज है. यह हमारे विश्वास, संस्कारों से जुड़ी रहती है. स्वामी विवेकानंद का तो मानना है कि भाषा किसी भी देश के विकास में अहम भूमिका निभाती है. 


सीखने की क्षमता होती है बेहतर


कॉन्गनिटिव इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी के प्रोफेसर एलिस माडो का कहना है कि जब हम अपनी मातृभाषा में संवाद करते हैं तो यह हमारे दिमाग में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को बढ़ा देती है. यही वजह है कि कई मानसिक, सामाजिक और शैक्षिक अध्ययनों में यह बात पता चली है कि मातृभाषा में व्यक्ति ज्यादा गहराई से, तेजी से और प्रभावी तरीके से सीखता है. बता दें कि दुनिया के कई देशों में उनकी मातृभाषा में ही सारी पढ़ाई होती है. फ्रांस में फ्रेंच भाषा, जर्मनी में जर्मन भाषा, चीन और जापान में भी वहां की मातृभाषा में सभी विषयों की पढ़ाई होती है. जापान में तो मातृभाषा में पढ़ाई को इतनी अहमियत दी जाती है कि वहां दुनियाभर के अनुसंधान, शोधपत्र एक महीने से भी कम समय में जापानी भाषा में अनुवाद कराकर अपने लोगों के पढ़ने के लिए मुहैया करा दिए जाते हैं. 


ब्रिटिश काउंसिल की एक रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्च में पता चला है कि अगर छात्रों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा दी जाए तो उसका काफी फायदा मिलता है. खासकर छोटे बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाई कराना उनके पूरे विकास के लिए बेहद जरूरी है. किसी व्यक्ति की लर्निंग स्कूल से नहीं बल्कि उसके घर से शुरू होती है. वह अपने परिजनों के द्वारा अपनी मातृभाषा में चीजें सीखना और समझना शुरू कर देता है. ऐसे में जब वह स्कूल में जाकर इंग्लिश या दूसरी भाषा में पढ़ाई करता है तो इससे उसकी सीखने की क्षमता धीमी हो जाती है. 


एमपी हिंदी में एमबीबीएस कराने वाला पहला राज्य


रिसर्च के अनुसार, मातृभाषा में पढ़ाई करने वाले छात्र चीजों को ज्यादा बेहतर तरीके से समझते हैं और स्कूल में सीखने के प्रति उनका नजरिया सकारात्मक रहता है. बता दें कि मध्य प्रदेश, देश का पहला राज्य होगा, जो मातृभाषा में मेडिकल को पढ़ाई शुरू करने जा रहा है. चीन,रूस,जापान,यूक्रेन,जैसे देशों की तरह अब भारत में भी मातृभाषा में पढ़ाई होगी. एमपी के 97 डॉक्टरो की टीम ने पिछले चार माह के अथक प्रयास के बाद अंग्रेजी की किताबो का लिपिकरण हिंदी में किया है! आज केंद्रीय मंत्री अमित शाह इन मेडिकल की हिंदी में तैयार की गई किताबो का विमोचन करेंगे!