राजू प्रसाद/इंदौर: मध्‍य प्रदेश में इंदौर के एक दृष्टिहीन छात्र को माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने लाखों के पैकेज पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब दी है. इस युवक के पिता मामूली कैंटीन चलाते हुए अपने तीनों बच्चों को पढ़ाई भी करवाई. इनमें से एक सबसे बड़ा यश सोनकिया है जो बचपन से दृष्टिहीन है लेकिन पढ़ाई और अन्य कामों में अव्वल नंबर ही रहा है. 


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आख‍िर रंग लाई मेहनत
यश ने श्री गोविंदराम सकसेरिया इंस्टीट्यूट और टेक्नोलोजी एंड साइंस कॉलेज से 2021 में कंप्यूटर साइंस कर जॉब तलाशना शुरू कर द‍िया था और आखिर उसकी मेहनत बहुत जल्दी रंग लाई. 


यश ने बताई अपनी कहानी 
यश सोनकिया ने बात करते हुए कहा, "मैंने  computer science से बी.टेक. किया है. मुझे माइक्रोसॉफ्ट से सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए ऑफर आया है. शुरुआत में मुझे हर जगह परेशानी आती रही लेकिन धीरे-धीरे सब ठीक हो गया. कॉलेज और मेरे दोस्तों ने भी मुझे बहुत हेल्प की, इंटरनेट की मदद से पढ़ाई की. मुझे माइक्रोसॉफ्ट ने 15 लाख का बेसिक पैकेज के अलावा उनके कंपनी के स्टॉक भी दिए जाएंगे. चुनौती बहुत आती रही, लेकिन अगर कोई करना चाहे तो लोग भी मदद करते हैं. जो लोग दिव्यांग मानकर खुद को असहाय मानते हैं उनके लिए कहना चाहता हूं कि सभी के लिए सभी तरह की फील्ड नहीं होती. आप ये देखें कि आप कहां अपना 100% दे सकते हैं."


यश के प‍िता चलाते हैं कैंटीन 
यश के पिता यशपाल एक कैंटीन चलाते हुए अपने परिवार की गुजर-बसर करते हैं. उन्होंने कहा क‍ि अगर हम परेशानी मानें तो बहुत बढ़ी होती है लेकिन अगर उससे फाइट करें तो सब परेशानी छोटी नजर आती हैं. एक सामान्य स्कूल , कॉलेज में अगर बच्चे को भेजते हैं तो थोड़ी दिक्कत आती है. बेटे के लिए हमने विशेष टीचर्स ढूंढे और मेहनत रंग लाई. मैंने हायर सेकंडरी तक पढ़ाई की है और कैंटीन चलाता हूं. मेरे तीन बच्चे हैं. यश से उसके छोटे भाई और एक बहन है जो नॉर्मल हैं और कॉलेज की पढ़ाई कर रहे हैं.मैंने कभी नहीं सोचा था कि माइक्रोसॉफ्ट कंपनी में इसको जॉब मिलेगी लेकिन इतना जरूर सोचा था कि ये सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन जाएगा. मेरा बेटा मेरा गुरूर है. ये हमारे घर के सब काम करता है. आज उसने अपने आपको साबित कर दिया. 


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