नई दिल्लीः अगर आप कहीं बैठे हैं और आप अपना फोन इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं तो भी आप अपना ध्यान फोन से नहीं हटा पाते और बार बार फोन चेक करते रहते हैं. ऐसा अक्सर लोगों के साथ होता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह मोबाइल फोन हमारे दिमाग के धीरे धीरे कमजोर कर रहा है और अगर इसे दिमाग के लिए साइलेंट किलर कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी  क्योंकि मोबाइल के इस्तेमाल से इंसान की यादाश्त और समस्या सुलझाने की क्षमता लगातार कम हो रही है! आइए जानते हैं कि कैसे स्मार्टफोन हमें कम अक्ल बना रहा है. 


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विभिन्न विशेषज्ञों का कहना है कि हमारी जीवनशैली हमारे दिमाग की क्षमता को कम कर रही है. खासकर तकनीक का इसमें अहम योगदान है. दरअसल तकनीक हमें अपना दिमाग कम से कम इस्तेमाल करने की सहूलियत देती है लेकिन वक्त के साथ यह सहूलियत हमारे दिमाग के लिए ही नुकसानदायक बन जाती है. इससे हमारा दिमाग समस्याएं सुलझाने की अपनी ताकत छोड़ने लगता है.साथ ही बार-बार फोन चेक करने की आदत हमारी फोकस करने की क्षमता को कमजोर कर रही है. फोन में आने वाले मैसेज, वीडियो, टेक्स्ट हमें लगातार एंग्जाइटी, तनाव, सुकून का एहसास करते रहते हैं, जिससे हम इतने संवेदनशील हो जाते हैं कि छोटी छोटी बातों पर नाराज होना या फिर दुखी होना आम हो जाता है. 


विशेषज्ञों का कहना है कि जब आप अपने स्मार्टफोन पर बहुत ज्यादा निर्भर हो जाते हैं तो धीरे धीरे आप फोन के आदी हो जाते हैं और अगर आपको स्मार्टफोन आपके पास नहीं होगा तो आप इससे परेशान हो जाएंगे. स्मार्टफोन के इस्तेमाल से हमारे हाथों के पंजे और ऊंगलियां भी मुड़ रही हैं. वहीं दफ्तर में लंबे घंटों तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से रीढ़ की हड्डी पर भी दबाव पड़ता है. इससे इंसानों की पीठ और झुकने लगती है. लगातार लंबे समय तक ऐसी स्थिति में रहने से इंसानों में कूबड़ निकलने की आशंका भी पैदा हो गई है.