प्रमोद शर्मा/भोपाल:  21 दिसंबर से राजधानी भोपाल समेत प्रदेश के तमाम सरकारी अस्पतालों में मरीजों को इलाज मिलना मुश्किल हो सकता है. गौरतलब है कि प्रदेश के 32 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी पहले से ही हड़ताल पर है, अब इसी बीच 1.20 लाख नियमित और आउट सोर्स कर्मचारियों ने भी दो दिन बाद यानी 21 दिसंबर से काम बंद कर हड़ताल पर जाने की धमकी दी है. अगर ऐसा होता है तो सरकारी अस्पताल में मरीजों इलाज मिलना ही बंद हो जाएगा साथ ही एक साथ सभी की परेशान भी बड़ सकती है. 


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41 सूत्री मांग को लेकर आंदोलन 
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग समेत चिकित्सा शिक्षा औऱ आयुष की तीन विधाओं को अलग-अलग संस्थाओं को सेवाएं देने वाले तमाम कर्मचारी संगठनों ने स्वास्थ्य अधिकारी कर्मचारी महासंघ बनाकर 41 सूत्रीय मांग रखी है. इसकी सुनवाई नहीं होने पर आंदोलन किया जा रहा है. महासंघ ने साफ तौर पर कहा है कि अगर हमारी मांग नहीं मानी तो फिर 21 दिसंबर से लाखों स्वास्थ्य कर्मचारी हड़ताल करेंगे.


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कर्मचारी संगठनों की 41 सूत्रीय मांग
- संविदा स्वास्थ्यकर्मियों को नियमित किया जाए.
- विभागों में सीधी भर्ती पदपूर्ति की जाए.
- पुरानी पेंशन बहाल किए जाए
- नर्सिंग ऑफिसर को ग्रेड टू वेतनमान दिया जाए
- 7वें वेतनमान का लाभ 2016 से दिया जाए
- मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग ऑफिसर को 3 या 4 वेतन वृद्धि दी जाए
- नर्सेस और पैरामेडिकल स्टाफ को रात्रिकालीन आकस्मिक चिकिस्ता भत्ता दिया जाए. इस तरह की 41 सूत्रीय मांग रखी गई है.


हड़ताल से कामकाज नहीं होगा प्रभावित
वहीं प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने 15 दिसंबर को मीडिया में कहा था कि संविदा कर्मचारियों की हड़ताल से कामकाज प्रभावित नहीं होने वाला है. हमारी सरकार संवाद स्थापित करने वाली सरकार है. अगर कर्मचारियों को कोई दिक्कत है, तो विभाग और संबंधित अधिकारी कर्मचारियों से बातचीत करेंगे. हालांकि अब देखना ये होगा कि 21 दिसंबर को अगर लाखों कर्मचारी हड़ताल पर उतर आए तो क्या होगा.