Seat Analysis: ग्वालियर अंचल की दतिया विधानसभा सीट 2 चीजों के लिए प्रसिद्ध है. पहली यहां प्रसिद्ध पीतांबरा पीठ का मंदिर है और दूसरी बात दतिया से बीजेपी के कद्दावर नेता और मध्य प्रदेश गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा की विधानसभा सीट है. इस विधानसभा सीट पर 20 साल से बीजेपी का गढ़ और यह नरोत्तम मिश्रा का गढ़ है. 1993 के बाद यहां कांग्रेस को एक बार भी जीत नसीब नहीं हुई है.


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साल 2023 में होने वाले चुनाव में भी एक बार फिर से नरोत्तम मिश्रा यहीं से अपने दावेदारी ठोक सकते हैं. नाव नतीजे क्या होंगे यह तो जनता को तय करना है, लेकिन इससे पहले सीट के जातिगत समीकरण, सीट का इतिहास और पिछले चुनाव के ट्रेंड पर नजर डालते हैं... पिछले यानी 2018 विधानसभा चुनाव की बात करें तो इस बार बीजेपी और कांग्रेस में कड़ी टक्कर देखी गई. नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस के राजेंद्र भारती को 2,656 वोटों से हराया था. मजेदार बात यह है कि यह यहां तीसरा नंबर NOTA का रहा था.  पिछले चुनाव में यहां कुल 49 प्रतिशत वोटिंग हुई थी.  


वोटर्स के आंकड़े और जातिगत समीकरण
दतिया विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें यहां कुशवाहा समाज और ब्राह्मण समाज निर्णायक स्थिति में है. यहां करीब 30 हजार से ज्यादा ब्राह्मण वोटर्स  हैं, जबकि करीब इतने कुशवाह समाज के लोगों की संख्या है. यहां पिछले कुछ सालों में ब्राह्मण चेहरे के तौर पर नरोत्तम मिश्रा को अच्छा खासा सपोर्ट मिलता आया है. 


4 बार से बीजेपी का कब्जा
दतिया विधानसभा सीट पर साल 2003 पर बीजेपी के रामदयाल प्रभाकर ने कांग्रेस के महेंद्र बौद्ध को हराया था. इसके बाद 2008 से यह सीट सामान्य हो गई. नरोत्तम मिश्रा को डबरा सीट छोड़कर दतिया आना पड़ा. इस चुनाव ने मिश्रा ने राजेंद्र भारती को 11,233 वोटों से हराया. 2013 में एक बार नरोत्तम मिश्रा ने एक बार राजेंद्र भारती को 11 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. 2018 में मिश्रा ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की.


वर्तमान स्थिति
2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से एक बार फिर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मैदान में उतर सकते हैं. हालांकि, पार्टी की ओर से टिकट की घोषणा का इंतजार है. लेकिन मजेदार बात यह है कि कांग्रेस अब इस सीट पर कोई दमदार चेहरे को उतार सकती है. माना जा रहा है कि कांग्रेस अब लगातार 4 चुनाव हार चुके राजेंद्र भारती में दांव नहीं लगा सकती. चर्चा है कि इस बार बीजेपी छोड़ कर कांग्रेस में आए पाठ्य पुस्तक निगम के पूर्व उपाध्यक्ष और दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री अवधेश नायक भी टिकट की मांग कर रहे हैं.