महेंद्र दुबे/दमोह: मध्यप्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जहां सियासी दल पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं तो वहीं अगला पिछला सब भुलाकर जमीन को मजबूती देने में जुट गए हैं. इस बीच सूबे के बुन्देलखण्ड में लगातार खराब हो रही भाजपा की स्थिति को भांपते हुए संघठन सक्रिय हुआ है और सालों से रूठे या दूर किये गए लोगों को गले लगाने का काम शुरू हो गया है. दमोह जिले की राजनीति में बड़ा नाम प्रदेश के पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया के परिवार के लिए अच्छी खबर है. दरअसल मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया और उनके समर्थकों की घर वापसी हुई है.


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बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा और प्रदेश संगठन के जिम्मेदार नेताओं ने सिद्धार्थ और उनके समर्थकों की घर वापसी कराई है. 



दरअसल 2018 में शिवराज सरकार के वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया को कांग्रेस के राहुल लोधी ने पराजित किया था. प्रदेश में हुए सत्त्ता परिवर्तन के नाटकीय घटनाक्रम के बाद राहुल ने कांग्रेस का साथ छोड़कर विधायकी से इस्तीफा दिया और वो भाजपा में शामिल हो गए. दमोह कोरोना संक्रमण के बीच उपचुनाव में झोंक दिया गया, मलैया को उम्मीद थी कि उनकी वरिष्ठता को देखते हुए आम चुनाव हारने के बाद भी पार्टी उनपर दांव लगाएगी लेकिन भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता की भावनाओं को दरकिनार कर दल बदल कर आये राहुल लोधी को पार्टी का उम्मीदवार बनाया और राहुल बुरी तरह से पराजित हुए. कांग्रेस के अजय टण्डन ने उन्हें परास्त किया. 


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पार्टी से किया बाहर
करीब सत्रह हजार से ज्यादा वोटों से भाजपा की हार के बाद पराजय का ठीकरा मलैया और उनके बेटे सिद्धार्थ के सर फोड़ा गया. राहुल ने खुलकर आरोप लगाए तो पार्टी ने भी इस बात को गंभीरता से लिया. भाजपा संगठन ने पूर्व मंत्री मलैया को नोटिस जारी किया और उनके बेटे सिद्धार्थ और समर्थक पांच मंडल अध्यक्षों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इस बीच आज अचानक सामने आए घटनाक्रम ने एक बार फिर दमोह जिले सहित बुन्देलखण्ड की राजनीती में गर्मी ला दी है.


टिकिट को लेकर चर्चा शुरू
आपको बता दें कि दमोह बुंदेलखंड की रणनीति का बड़ा केंद्र है. यही से केंद्र सरकार में जलशक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल सांसद है और भाजपा का बड़ा चेहरा भी है. पटेल और मलैया के बीच भी रस्साकसी के चर्चे होते रहते है. ऐसे में मलैया के बेटे और समर्थकों की वापसी सियासी पारा बढ़ाएगी. खास तौर पर विधानसभा के आम चुनाव में टिकिट को लेकर भी चर्चाये शुरू हो गई है और जो हुआ सो हुआ लेकिन अलग अलग धड़ों में दिख रही भाजपा को इस घटनाक्रम के बाद चुनावी डगर और कठिन दिखने लगी है. बहरहाल देखना होगा कि इलाक़े में अब क्या रंग दिखते हैं.