Naxals In Chhattisgarh: दंतेवाड़ा में हुए हमले के बाद पीएम नरेंद्र मोदी समेत राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ी निंदा की है. इस घटना में शहीद हुए जवान डीआरजी के हैं. आइए जानते हैं DRG के बारे में.
Trending Photos
Naxals In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में बुधवार को बड़ा नक्सल हमला हुआ है. हमले में DRG (District Reserve Guard) के 10 जवान शहीद हो गए हैं. वहीं एक ड्राइवर भी मारा गया है. मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, जवान नक्सलियों की सर्चिंग के लिए निकले थे. इसी दौरान नक्सलियों ने आईईडी ब्लास्ट कर दिया. साल 2021 के बाद इसे सबसे बड़ा नक्सली हमला माना जा रहा है. इस घटना पर पीएम नरेंद्र मोदी समेत राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ी निंदा की है. इस घटना में शहीद हुए जवान डीआरजी के हैं. ऐसे में आज हम आपको डीआरजी के बारे में बताने जा रहे हैं.
जानिए क्या है DRG?
डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) की शुरुआत छत्तीसगढ़ के कांकेर और नारायणपुर में वर्ष 2008 में की गई थी. छत्तीसगढ़ में नक्सली गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए डीआरजी का गठन किया गया था. कांकेर और नाराणपुर में डीआरजी के जवानों को सफलता मिलने के बाद अन्य जिलों में भी इसका संचालन शुरू कर दिया गया. बीजापुर और बस्तर में डीआरजी का गठन साल 2013 में किया गया. सुकमा और कोंडागांव में 2014 में. वहीं इसके बाद साल 2015 में दंतेवाड़ा और राजनांदगांव में भी इसकी शुरुआत की गई. डीआरजी के गठन के बाद छत्तीसगढ़ के हर जिलों में नक्सलियों पर कड़ी निगरानी रखे जाने लगी.
DRG में किसकी होती है भर्ती?
डीआरजी में छत्तीसगढ़ के ही लोकल लोगों को भर्ती किया जाता है. क्योंकि छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके ज्यादातर आदिवासी क्षेत्र में ही आते हैं. ऐसे में उन लोगों को जंगल से लेकर वहां के भाषा की सारी जानकारी होती है. इनकी खासबात ये होती है कि ये तीन से चार दिन तक जंगलों में नक्सलियों की तलाशी कर सकते हैं. इसके अलावा डीआरजी जवान बिना बुलेटप्रुफ जैकेट के नक्सलियों की सर्चिंग के लिए निकल जाते हैं.
अप्रैल में ही क्यों होते हैं हमले
इससे पहले 4 को बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर स्थित तर्रेम क्षेत्र के टेकलगुड़ा में नक्सलियों ने बैरल ग्रेनेड लॉन्चर से हमला किया था. जिसमें 22 जवान शहीद हो गए थे. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर में नक्सली अप्रैल का महीना ही क्यों चुनते हैं हमला करने के लिए? बता दें कि इसका सबसे बड़ा कारण है टीसीओसी (टैक्टिकल काउंटर ऑफेंसिव कैम्पेन) सूत्रों के अनुसार बस्तर में टीसीओसी चल रही है. टीओसी का एक कैंपेन चलता है. इसके तहत नक्सली ग्रामीणों को अपना सुरक्षा कवच बनाकर चलते हैं, और हमला करते हैं.
नक्सलवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार का एक्शन प्लान
दंतेवाड़ा में हुए नक्सली हमले पर राज्य के सीएम भूपेश बघेल ने कहा कि, यह लड़ाई अंतिम दौर में चल रही है और नक्सलियों को किसी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा. हम योजनाबद्ध तरीके से नक्सलवाद को खत्म करेंगे. बता दें कि सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी छत्तीसगढ़ को नक्सली मुक्त नहीं बनाया जा सका. क्योंकि छत्तीसगढ़ की संरचना नक्सलियों के छिपने के लिए काफी अच्छी है.