Seoni Lakhnadon Vidhan Sabha Seat Analysis: सिवनी जिले में चार विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से दो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. सिवनी की लखनादौन विधानसभा सीट की बात करें तो  फिलहाल, इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी का कब्जा है और पिछले चुनाव में यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला था. बता दें कि 2003 के चुनाव में, घनसौर सीट, जो लखनादौन के मुख्य क्षेत्र को कवर करती थी, एक अलग विधानसभा सीट थी. हालांकि, 2008 के परिसीमन के बाद, घनसौर को केवलारी और लखनादौन के साथ मिला दिया गया, जिसके चलते लखनादौन एक बड़ी विधानसभा सीट बन गई.बता दें कि  गोंडवाना गणतंत्र पार्टी इस क्षेत्र में काफी प्रभाव रखती है.


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MP Election: महाकौशल की इस सीट पर कांग्रेस लगा पाएगी हैट्रिक? गोंड समुदाय का प्रभाव है


2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान लखनादौन विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय हुआ था. कांग्रेस के योगेन्द्र सिंह बाबा 82,951 वोटों के साथ जीते, उनके बाद भाजपा के विजय कुमार उइके 70,675 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. वहीं, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के इंदर सिंह उईक ने भी 40,022 वोट हासिल कर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया. बता दें कि चुनाव में कांग्रेस के योगेन्द्र सिंह बाबा 12276 वोटों से जीते थे. 


लखनादौन के मतदाता- जाति समीकरण
2018 के चुनाव के दौरान, लखनादौन में 2,58,546 मतदाता थे, जिसमें 2,06,298 (81.3%) मतदान हुआ और नोटा के पक्ष में 3,917 (1.5%) वोट पड़े. वर्तमान में, निर्वाचन क्षेत्र में 2,89,322 मतदाता हैं. लखनादौन विधानसभा सीट के जाति समीकरण की बात करें तो इस सीट पर अधिकांश मतदाता गोंड समुदाय के हैं, जिनमें लगभग एक लाख गोंड मतदाता हैं. इसके बाद तेली समुदाय के करीब 21 हजार, लोधी समुदाय के 18 हजार और कलार समुदाय के 17 हजार मतदाता हैं.


सीट का राजनीतिक इतिहास
लखनादौन सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो इस विधानसभा सीट पर1957 के बाद से,  वैसे तो भाजपा और कांग्रेस दोनों को जीत मिली, लेकिन वर्चस्व कांग्रेस का रहा है.  इस सीट पर शुरुआत से कांग्रेस का दबदबा था, वसंत राव उइके ने 1950 और 1960 के दशक में कई बार जीत हासिल की. इसके अलावा कांग्रेसी नेता सत्येन्द्र सिंह ने 1970 और 1980 के दशक तक अपनी पकड़ जारी रखी. फिर 1990 के दशक में कांग्रेस के रणधीर सिंह ने यहां से चुनाव जीते.  2003 में पूरे प्रदेश के साथ इस सीट पर भी बदलाव हुआ, जब  भाजपा की शशि ठाकुर ने जीत हासिल की, और इसके बाद 2008 में भी उन्होंने अपनी सीट बरकरार रखी. वहीं, कांग्रेस ने 2013 और 2018 में वापसी की, जिसमें योगेन्द्र सिंह विजय हुए.


बता दें कि  इस सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) अच्छा खासा प्रभाव रखती है और लखनादौन विधानसभा सीट के राजनीतिक समीकरण बिगड़ने की क्षमता है. इस निर्वाचन क्षेत्र में जीजीपी का प्रभाव, जो क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति के लिए जाना जाता है.


लखनादौन विधानसभा क्षेत्र के विधायकों की सूची:


1957 - वसंत राव उइके (कांग्रेस)
1962 - वसंत राव उइके (कांग्रेस)
1967 - वसंत राव उइके (कांग्रेस)
1972 - वसंत राव उइके (कांग्रेस)
1977 - सत्येन्द्र सिंह (कांग्रेस)
1980 - सत्येन्द्र सिंह (कांग्रेस)
1985 - सत्येन्द्र सिंह (कांग्रेस)
1990 - रणधीर सिंह (कांग्रेस)
1993 - रणधीर सिंह (कांग्रेस)
1998 - रणधीर सिंह (कांग्रेस)
2003 - शशि ठाकुर (BJP)
2008 - शशि ठाकुर (BJP)
2013 - योगेन्द्र सिंह (कांग्रेस)
2018 - योगेन्द्र सिंह (कांग्रेस)