Shivpur Vidhan Sabha Seat Analysis: अब मध्य प्रदेश अगले महीने चुनाव (Assembly Election 2023) की तारिखें लगभग तय हो सकती हैं. विधानसभा चुनाव के रंग में रंगी पार्टियां दावेदारों के आंकड़ें खंगाल रही है. आइये समझते हैं 25 साल से बीजेपी के कब्जे बनी हुई शिवपुरी विधानसभा (Shivpur Constituency) के बारे में जहां राजघराने का ही प्रभाव रहा है. शिवपुरी (Shivpur News) में जबसे यशोधराराजे सिंधिया के एंट्री हुई तब से बीजेपी कभी नहीं हारी. आइये समझते सियासी और जातीय समीकरण.


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25 साल से नहीं हारी BJP
शिवपुरी में सिंधिया राजघराने का ही वर्चश्व रहा है. 1980 और 1985 में यहां माधव राव सिंधिया के करीबी रहे गणेश गौतम ने जीत हासिल की. उसके बाद यहां राजघराने के सदस्य की बीजेपी की टिकट पर सीधी एंट्री होती है और तब से लेकर आज तक बीजेपी यहां से नहीं हारी. हालांकि, बीच में 5 साल के लिए जब यशोधराराजे सिंधिया सांसद बनी तो बीजेपी ने दूसरा कंडीडेट उतारा उन्होंने भी जीत हासिल की. इसी कारण कहा जाता है की शिवपुरी में राजघराने ने बीजेपी की पकड़ मजबूत की है.


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चुनावी इतिहास
1998 से यशोधरा राजे सिंधिया ने हरिवल्लभ शुक्ला को 7300 वोटों से हराया
2003 में दूसरी बार राजे ने गणेशराम गौतम को 25 हजार से ज्यादा मतों हराया
2008 में बीजेपी ने माखनलाल राठौर ने वीरेंद्र रघुवंशी को 1751 वोटों से हराया
2013 में राजे को एक बार फिर लौटीं और वीरेंद्र रघुवंशी को करीब 11 मतों से हराया
2018 में यशोधरा राजे सिंधिया ने कांग्रेस के सिद्धार्थ लाडा को 28,748 वोटों से पराजित किया


काम नहीं आते जातीय समीकरण
शिवपुरी विधानसभा सीट में सिंधिया घराने के प्रभाव के कारण जातीय आंकड़े ज्यादा प्रभावित नहीं करते. कहा जाता है कि परिवार का सदस्य होने के कारण अभी तक इसी कारण कांग्रसे यहां से तगड़ा प्रत्याशी भी नहीं उतारती थी. वैसे जातियों के प्रभाव के बारे में देखा जाए तो सबसे ज्यादा वैश्य वोटर्स उसके बाद आदिवासी वोटर्स हैं. इनके संख्या 50 हजार के आसपास है. वहीं 20 हजार के आसपास ब्राह्मण वोटर्स हैं.


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