Gwalior Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में 'ग्वालियर-चंबल' अंचल सूबे की सियासत का केंद्र बना हुआ है. क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ सरकार गिरने से लेकर शिवराज सरकार बनने में ग्वालियर-चंबल का सबसे अहम रोल रहा था, ऐसे में इस बार भी यहां सबका फोकस बना हुआ है. इसी अंचल की ग्वालियर विधानसभा सीट सूबे की वीआईपी सीटों में गिनी जाती है, क्योंकि यहां से विधायक बनने वाले नेता राजनीति में बड़े ओहदों पर पहुंचे हैं, ऐसे में इस सीट का सियासी इतिहास और राजनीतिक समीकरण भी दिलचस्प माना जाता है. 


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ग्वालियर का सियासी ताना बाना 


ग्वालियर विधानसभा 1951 से ही अस्तित्व में हैं, लेकिन समय समय पर हुए परिसीमन से इस सीट का तानाबाना बदलता रहा है, इसी सीट के तहत ग्वालियर का ऐतिहासिक किला और सम्राट तानसेन का समाधि स्थल भी आता है. फिलहाल इस सीट से शिवराज सरकार में मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर विधायक हैं. इस बार भी इस सीट पर सबकी नजरें होगी, क्योंकि यहां बीजेपी के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभाव भी रहता है. 


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ग्वालियर सीट पर वोटर्स के समीकरण  


बात अगर ग्वालियर विधानसभा सीट के वोटर्स की जाए तो 2018 के आंकड़ों के मुताबिक यहां  2 लाख 90 हजार 637 वोटर्स हैं, जिनमें से 1 लाख 54 हजार 618 पुरुष मतदाता और 1 लाख 35 हजार 996 महिला मतदाता है, जबकि थर्ड जेंडर वोटर्स की संख्या 23 है. 


ग्वालियर विधानसभा का जातिगत समीकरण


ग्वालियर विधानसभा सीट पूरी तरह से शहरी इलाका है, लेकिन फिर भी यहां जातिगत समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं, ग्वालियर विधानसभा सीट पर ब्राह्मण, क्षत्रिय और एससी-एसटी वोटर्स मुख्य भूमिका में रहते हैं. 2018 के आंकड़ों के मुताबिक यहां 34 हजार ब्राह्मण, 30 हजार एससी-एसटी और 24 हजार क्षत्रिय वोटर्स हैं, इसके अलावा मुस्लिम, वैश्य, ओबीसी, जैन, सिंधी और महाराष्ट्रीयन वोटर्स भी अहम भूमिका में रहते हैं. 


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ग्वालियर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास 


ग्वालियर विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के गठन से ही अस्तित्व में रही है, खास बात यह है कि इस सीट से चुनाव जीतने वाले ज्यादातर नेता राजनीति में अच्छी पॉजिशन पर पहुंचे हैं, नरेंद्र सिंह तोमर, जयभान सिंह पवैया, प्रद्युम्न सिंह तोमर जैसे नेता केंद्र और राज्य सरकारों में मंत्री बने हैं. इस सीट पर महल का प्रभाव भी रहता है, ऐसे में सिंधिया परिवार की पसंद का प्रत्याशी भी राजनीतिक दलों से चुना जाता रहा है. 2020 में हुए उपचुनाव को मिलाकर पिछले 10 चुनावों की बात की जाए तो इस सीट पर 6 बार बीजेपी और 4 बार कांग्रेस को जीत मिली है. 


  • तारा सिंह विओगी, कांग्रेस, 1980

  • धर्मवीर सिंह, बीजेपी, 1985

  • धर्मवीर सिंह, बीजेपी, 1990

  • रघुवर सिंह, कांग्रेस, 1993 

  • नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी, 1998

  • नरेंद्र सिंह तोमर, बीजेपी, 2003

  • प्रद्युमन सिंह तोमर, कांग्रेस, 2008 

  • जयभान सिंह पवैया, बीजेपी, 2013

  • प्रद्युमन सिंह तोमर, कांग्रेस, 2018 

  • प्रद्युमन सिंह तोमर, बीजेपी, 2018 (उपचुनाव) 


2018 में ऐसा रहा था नतीजा 


2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़े प्रद्युमन सिंह तोमर ने बीजेपी के कद्दावर नेता जयभान सिंह पवैया को 21,044 वोट से हराया था. लेकिन बाद में तोमर ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए और 2020 में इस सीट पर उपचुनाव हुए थे, जिसमें प्रद्युमन सिंह तोमर ने कांग्रेस के सुनील शर्मा को 33,123 वोटों से हराया था. ऐसे में इस बार भी इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होने की पूरी उम्मीद है. 


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