MP की इस विधानसभा सीट पर जाति सब पर भारी, चर्चा में रहते हैं यहां के MLA, जानें सियासी समीकरण
Sheopur Vidhan Sabha Seat: श्योपुर विधानसभा सीट पर पिछले 30 सालों से बीजेपी कांग्रेस यहां हैट्रिक नहीं लगा पाई है. 2018 में यहां कांग्रेस ने बाजी मारी थी.
Sheopur Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर चंबल में सियासी हलचल तेज है. अंचल की 34 विधानसभा सीटों में श्योपुर विधानसभा सीट भी अहम मानी जाती है. क्योंकि यहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्लोज फाइट चलती है. पिछले 30 सालों से यहां कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस जीत दर्ज करती आ रही है. लेकिन किसी भी पार्टी को हैट्रिक नहीं मिली है. 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के बाबू जंडेल ने जीत दर्ज की थी. जबकि इस बार भी दोनों पार्टियों में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है.
श्योपुर में जाति सब पर भारी
श्योपुर विधानसभा सीट पर जातिगत समीकरण राजनीतिक दलों पर भारी पड़ते हैं. हालांकि यह जानकार आपको हैरानी होगी कि जिस जाति का दबदबा सीट पर सबसे ज्यादा होता है, उसी वर्ग से यहां सबसे कम विधायक चुने गए हैं. श्योपुर में मीणा समाज के सबसे ज्यादा वोटर्स हैं, मीणा समाज के यहां 55 हजार से भी ज्यादा वोटर्स हैं. ऐसे में इस बार भी दोनों पार्टियां इसी वर्ग के प्रत्याशियों पर दांव लगा सकती है. इसके अलावा ठाकुर, ब्राह्मण, आदिवासी वोटर्स भी निर्णायक भूमिका में होते हैं.
ऐसा वोटर्स का तानाबाना
श्योपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला क्लोज होता है, 2018 के विधानसभा चुनाव के मुताबिक श्योपुर विधानसभा सीट पर कुल 2,19,889 वोटर्स थे, जिनमें 1,16,826 पुरुष वोटर्स तो 1,03,063 महिला वोटर्स थीं. 2018 में कुल 11 उम्मीदवार मैदान में थे. जिनमें से सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही हुआ था.
श्योपुर विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास
श्योपुर विधानसभा सीट मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही अस्तित्व में आ गई थी. तब से लेकर अब तक पांच बार कांग्रेस ने, दो बार हिंदू महासभा ने चुनाव जीता है, जबकि दो बार जनसंघ के प्रत्याशी ने यहां जीत दर्ज की है. इसके अलावा एक बार निर्दलीय प्रत्याशी और एक बार जनता पार्टी के प्रत्याशी ने विजयश्री हासिल की है. वहीं बीजेपी ने चार बार यहां से जीत हासिल की है,
श्योपुर के अब तक के विधायक
उदयभान सिंह चौहान, कांग्रेस, 1952
रघुनाथ पटेल, हिन्दू महासभा, 1957
रामस्वरुप वर्मा, हिन्दू महासभा, 1962
शिवचरण तिवारी, जनसंघ, 1967
लोकेन्द्र सिंह, जनसंघ, 1972
सरदार गुलाब सिंह, जनता पार्टी, 1977
बद्रीप्रसाद रावत, कांग्रेस, 1980
सत्यभानू सिंह चौहान, कांग्रेस, 1985
सरदार गुलाब सिंह, बीजेपी, 1990
रमाशंकर भारद्वाज, बीजेपी, 1993
बृजराज सिंह चौहान, निर्दलीय, 1998
दुर्गालाल विजय, बीजेपी, 2003
बृजराज सिंह चौहान, कांग्रेस, 2008
दुर्गालाल विजय, बीजेपी, 2013
बाबूलाल जंडेल, कांग्रेस, 2018
चर्चा में रहते हैं विधायक बाबू जंडेल
2018 के विधायक में कांग्रेस उम्मीदवार बाबू जंडेल ने बीजेपी के दुर्गालाल विजय को जीत की हैट्रिक लगाने से रोक दिया था। बाबू जंडेल ने बीजेपी के दुर्गालाल विजय को 41,710 हजार वोटों के बड़े अंतर से हराया था. विधायक बनने के बाद बाबू जंडेल प्रदेश की राजनीति में चर्चा में रहते हैं, वह कभी विधानसभा सत्र के दौरान अपनी कमीज फाड़ने को लेकर चर्चा में रहें तो अपनी अनोखी मांगों को लेकर भी चर्चा में रहते हैं. विधायक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रही सोनिया गांधी भारत रत्न देने की मांग उठा चुके हैं, तो कभी बिना सुरक्षा के बिजली के खंभे पर चढ़ जाते हैं. इस बार भी वह कांग्रेस की तरफ से टिकट के दावेदार हैं.
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