जिस पार्टी ने जीता यह गढ़, सूबे में उसकी सत्ता, सुंदर से शिव`राज तक ऐसा रहा सियासी ट्रेंड
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आधिकारिक तौर पर ऐलान होने में कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने पुरजोर तैयारियां शुरू कर दी है. भाजपा ने तो एक कदम आगे जाते हुए अपने 79 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है.
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए आधिकारिक तौर पर ऐलान होने में कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों ने पुरजोर तैयारियां शुरू कर दी है. भाजपा ने तो एक कदम आगे जाते हुए अपने 79 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है. भाजपा ने अपने दिग्गज नेता और पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी चुनावी रण में उतार दिया है. उन्हें इंदौर-1 सीट को जीतने की जिम्मेदारी दी गई है. इधर, कांग्रेस से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह ने यहां की हारी हुई सीटों पर मोर्चा संभाल रखा है.
दोनों ही पार्टियां खास-तौर पर मालवा निमाड़ पर सबसे ज्यादा फोकस कर रही हैं. इसकी वजह यह है कि इस क्षेत्र में जो पार्टी सबसे ज्यादा सीटें जीतती है, सूबे में सरकार बनने की उसकी सबसे ज्यादा संभावना रहती है. मालवा-निमाड़ में 15 जिले और 66 विधानसभा सीटें हैं. यहां 33 साल से ट्रेंड चला आ रहा है. इस ट्रेंड सिलसिला साल 1990 से शुरू हुआ और 2018 तक यही ट्रेंड रहा है.
ऐसा रहा ट्रेंड
1990 में भाजपा ने यहां से 80 प्रतिशत सीटें जीतकर सूबे में पहली बार अपनी सरकार बनाई और सुंदर लाल पटवा मुख्यमंत्री बने. हालांकि, 1993 के चुनाव में कांग्रेस ने इस मालवा-निमाड़ की 49 प्रतिशत सीटें जीतकर प्रदेश में सरकार बनाई और दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने. 1998 में दिग्विजय सरकार ने फिर यह कारनामा दोहराया और दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन मालवा-निमाड़ की 72 प्रतिशत सीटों पर कब्जा किया.
तख्ता पटल में इन सीटों की अहम भूमिका
साल 2003 में सरकार विरोधी लहर और उमा भारती के नेतृत्व में बनी भाजपा सरकार ने इस क्षेत्र में 80 प्रतिशत सीटों पर कब्जा किया और कांग्रेस की सरकार को उखाड़ कर फेंक दिया. साल 2008 में मुख्यमंत्री थे शिवराज और चुनाव में मालवा-निमाड़ में सबसे ज्यादा 41 सीटें जीतीं. आगे चलकर 2013 में भाजपा ने फिर यह करिश्मा दोहराया, लेकिन इस बार सबसे ज्यादा 56 सीटें जीतीं. साल 2018 में कांग्रेस यहां से 66 में 35 सीटें जीतकर भाजपा को बड़ा झटका दिया और सूबे एक बार अपनी सरकार बनाई.
एकतरफा वोटिंग का ट्रेंड
इसमें क्षेत्र में कई सीटें आदिवासी बाहुल्य हैं. धार, झाबुआ और अलीराजपुर में सबसे ज्यादा आदिवासी वोटर हैं. साथ बड़वानी, खरगोन, खंडवा और देवास भी आदिवासी बाहुल्य सीटे हैं. पिछले चुनावों में यह एकतरफा वोटिंग का ट्रेंड देखने को मिला है. निमाड़ में एकतरफा वोटिंग परंपरा रही है. यही वजह है कि 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने खरगोन, बड़वानी से धार तक कई सीटें जीतीं और सरकार बनाई.