MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश में भाजपा ने प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में कई चौंकाने वाले नाम है दिए हैं. दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज सरकार के 13 मंत्री चुनाव हार गए थे. जिसके चलते पार्टी को 15 साल बाद सत्ता से बाहर होना पड़ा था, अगर ये मंत्री चुनाव जीत जाते तो इससे प्रदेश के पूरे सियासी समीकरण बदल जाते. 


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2018 में 27 मंत्री लड़े थे चुनाव 


दरअसल, 2018 में शिवराज कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर कुल 32 मंत्री थे, जिनमें से 27 ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन इनमें से 13 मंत्री चुनाव हार गए थे, जबकि 14 अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे. मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में बहुमत का आंकड़ा 116 था, लेकिन बीजेपी चुनाव में 109 सीटों पर सिमट गई और सत्ता से बाहर हो गई, जिसकी बड़ी 13 मंत्रियों की हार भी बनी थी.


ये मंत्री हारे थे चुनाव 


अर्चना चिटनिस


बुरहानपुर विधानसभा सीट से  महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह शेरा से चुनाव हार गई थी. उन्हें पांच हजार से भी ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. वह इस सीट से लगातार दो बार से विधायक थी, लेकिन त्रिकोणीय मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.  


रुस्तम सिंह


शिवराज सरकार में सीनियर मंत्री रुस्तम सिंह मुरैना विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे. रुस्तम सिंह को मुरैना सीट पर 20 हजार से भी ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था. रुस्तम सिंह शिवराज सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे. 


जयभान सिंह पवैया


बीजेपी के फायरब्रांड नेता और शिवराज सरकार में मंत्री रहे जयभान सिंह पवैया भी ग्वालियर सीट से चुनाव हार गए थे. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी प्रद्युम्न सिंह तोमर ने 21 हजार से भी ज्यादा वोटों से चुनाव हराया था. पवैया शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे. 


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नारायण सिंह कुशवाहा


ग्वालियर दक्षिण सीट से मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा भी कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण पाठक से चुनाव हार गए थे. हालांकि उन्हें करीबी मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा था. नारायण सिंह कुशवाहा 126 वोटों से चुनाव हारे थे. कुशवाहा को भी चुनाव से कुछ समय पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनाया गया था. 


जयंत मलैया


2018 में मंत्रियों में सबसे सनसनीखेज हार शिवराज सरकार में कद्दावर मंत्री रहे जयंत मलैया की थी. वह दमोह विधानसभा सीट से महज 798 वोटों से हारे थे. इससे पहले वह लगातार इस सीट से विधानसभा चुनाव जीत रहे थे. मलैया शिवराज सरकार में वित्तमंत्री थे. 


ओमप्रकाश धुर्वे


डिंडौरी जिले की शाहपुर विधानसभा सीट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे को कांग्रेस प्रत्याशी ने बड़े अंतर से चुनाव हराया था. धुर्वे को 35 हजार से भी ज्यादा वोटों से करारी हार मिली थी. बीजेपी ने इस बार भी धुर्वे को शाहपुरा से ही टिकट दिया है. 


उमाशंकर गुप्ता


भोपाल की भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से मंत्री उमाशंकर गुप्ता भी अपनी सीट नहीं बचा पाए थे. उन्हें 6 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस के प्रत्याशी पीसी शर्मा ने चुनाव हराया था. वह शिवराज सरकार में राजस्व मंत्री थे. 


अंतर सिंह आर्य


जेल एवं पशुपालन मंत्री अंतर सिंह आर्य को बड़वानी जिले की सेंधवा सीट पर चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी ने 15 हजार से भी ज्यादा वोटों से चुनाव हराया था. वह शिवराज सरकार में जेल एवं पशुपालन मंत्री थे. 


शरद जैन


महाकौशल अंचल की जबलपुर उत्तर सीट से मंत्री शरद जैन भी करीबी मुकाबले में अपनी सीट नहीं बचा सके थे. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी विनय सक्सेना ने 578 वोटों से हराया था. बीजेपी के लिए महाकौशल में यह बड़ी हार थी.  


ललिता यादव


बुंदेलखंड अंचल की बड़ामलहरा सीट से मंत्री ललिता यादव भी कांग्रेस उम्मीदवार से चुनाव हार गई थीं. ललिता यादव को 15 हजार से भी ज्यादा वोटों से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. ललिता यादव को पार्टी ने इस बार छतरपुर से टिकट दिया गया है.


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बालकृष्ण पाटीदार  


2018 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही मंत्री बने बालकृष्ण पाटीदार खरगोन सीट से विधानसभा चुनाव हार गए थे. बालकृष्ण पाटीदार को कांग्रेस प्रत्याशी रवि जोशी ने 10 हजार वोटों के अंतर से चुनाव में हराया था. 


दीपक जोशी


मंदसौर जिले की हाटपिपल्या सीट से लगातार दो चुनाव जीतने के बाद कद्दावर मंत्री दीपक जोशी भी अपनी सीट नहीं बचा सके थे. खास बात यह है कि दीपक जोशी बीजेपी छोड़कर इस बार कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. उनके इस बार कांग्रेस की तरफ से विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना है. 


लाल सिंह आर्य


भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट से मंत्री लाल सिंह आर्य भी चुनाव नहीं जीत पाए थे. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी रणवीर जाटव ने चुनाव हराया था. पार्टी ने इस बार भी लाल सिंह आर्य को गोहद से ही प्रत्याशी बनाया है. 


खास बात यह है कि एमपी में मंत्रियों के चुनाव हारने का ट्रेंड पुराना रहा है. 2013 के विधानसभा चुनाव में भी शिवराज सरकार के 10 मंत्री चुनाव हार गए थे..2018 में अगर ये मंत्री अपनी सीट बचा ले जाते तो बीजेपी पूर्ण बहुमत तक पहुंच जाती है. क्योंकि पार्टी को 230 विधानसभा सीटों में से 107 सीटों पर जीत मिली थी. 


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