सत्येंद्र परमार/निवाड़ी: मध्य प्रदेश का लाड़पुरा खास गांव इन दिनों पूरी दुनिया में एक बार फिर सुर्खियां बटोर रहा है. इस गांव को यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) ने गांव को बेस्ट टूरिज्म विलेज (Best Tourism Village) के अवार्ड से नवाजा है. पूरे देश से मात्र तीन गांवों का इसमें चयन हुआ था, जिसमें मेघालय का कांगतोंग गांव, तेलंगाना का पाचम्पेली गांव शामिल है. लाड़पुरा को मिले इस सम्मान से पूरा प्रदेश गर्व महसूस कर रहा है.


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ओरछा में आता है गांव
लाड़पुरा गांव मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले की ओरछा तहसील में आता है. यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) ने बेस्ट टूरिज्म विलेज (Best Tourism Village) के लिए इसका चयन पर्यटको की संख्या और पर्यटकों से लिए गए फीडबैक के आधार पर दिया गया है. इससे पहले ये गांव UNWTO द्वारा साल 2021 में नामांकित होने पर चर्चा में आया था.


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आम से लेकर खास तक खुश
इस उपलब्धि के बाद प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) से लेकर हर आम और खास व्यक्ति इस उपलब्धि से उत्साहित व खुश हैं. पूरे जिले और गांव में दीवाली जैसा माहौल नजर आ रहा है. पर्यटन विभाग ओरछा के प्रबंधक एचएस दंडोतिया ने इस उपलब्धी को ग्रामीणों के साथ-साथ अधिकारी कर्मचारियों की अथक मेहनत का परिणाम बताया है.



संघर्षों से मिला मुकाम
हर किसी की जुबान पर गांव में हुए काम और संघर्ष की चर्चा है. लाड़पुरा गांव को खास बनाने के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग और ग्रामीणों ने बहुत मेहनत की है. यहां शहर की चकाचौंध भरी जिंदगी के बीच ग्रामीण क्षेत्र के शांत व स्वच्छ वातावरण की तलाश में घूम रहे पर्यटकों के लिए विलेज होम स्टे की कुछ साल पहले नींव रखी थी.


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यहां मिलता है बुंदेली आनंद
ओरछा गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष हेमंत गोस्वामी बताते हैं की पर्यटन ग्राम लाड़पुरा में सैलानियों को बुंदेली व्यंजनों समेत यहां के रहन-सहन खेती बाड़ी सुंदर व शांत वातावरण से रूबरू कराया जाता है, जो पर्यटकों को बेहद पसंद आया. इसी का नतीजा है कि आज ओरछा के लाड़पुरा गांव को UNWTO की ओर से बेस्ट टूरिज्म विलेज का अवार्ड मिला.



सैलानियों को नहीं होती समस्या
बता दें ओरछा से पांच किलोमीटर दूर बसे इस गांव का पारंपरिक खान-पान और पहनावा यहां आए सैलानियों को भारत और बुंदेलखंड की प्राचीन संस्कृतियों से रूबरू कराता है. गांव में पर्यटकों के लिए ठहरने के लिए होम स्टे भी तैयार किए गए हैं. सबसे खास बात ये कि गांव के 80% लोग साक्षर हैं. इस कारण यहां आने वाले सैलानियों को किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता.


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