नहीं रहे BJP के आधारस्तंभ Phoolchand Verma, CM शिवराज ने कहा- राजनीति में आया शून्य
mp bjp leader phoolchand verma death: मध्य प्रदेश बीजेपी के आधार स्तंभों में से एक रहे पूर्व सांसद फूलचंद वर्मा का निधन हो गया है. उनके निधन पर प्रदेश के नेताओं ने शोक व्यक्ति किया है. CM शिवराज सिंह चौहान ने भी उन्हें श्रद्धांजली देते हुए. राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की बात कही है.
mp bjp leader phoolchand verma death: भोपाल: मध्यप्रदेश के वरिष्ठ भाजपा नेता और भारतीय जनसंघ एवं भारतीय जनता पार्टी के संगठन का मालवा में विस्तार करने वाले पूर्व सांसद फूलचंद वर्मा नहीं रहे. वर्मा को अक्टूबर महीने की शुरुआत में तबीयत बिगड़ने के बाद मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल ले जाया गया था. वहां उनका इलाज चल रहा था. इसी दौरान उन्होंने बुधवार को उन्होंने 83 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. उनके निधन के बाद से नेता शोक व्यक्त कर रहे हैं. सीएम शिवराज ने राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की बात कही है.
सीएम शिवराज ने दी श्रद्धांजली
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व सांसद फूलचंद वर्मा के निशन पर शोक जाहिर किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा 'मैं फूलचंद वर्मा जी के चरणों में श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं तथा परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें. एवं उनके परिवारजनों, मित्रों दुख सहन करने की क्षमता दें.
सीएम ने कहा कि उनके निधन से मध्यप्रदेश की राजनीति में जो शून्य पैदा हुआ है, वह आसानी से नहीं भरा जा सकता. वह मध्य प्रदेश भाजपा के आधारस्तंभों में एक तथा जनता के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे. उन्होंने दीन दुखियों, दलितों, पीड़ितों की सेवा के लिए काम किया. उनका अंतिम संस्कार संपूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा.
बीजेपी के आधार स्तंभ थे फूलचंद वर्मा
फूल चंद वर्मा भाजपा के उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे जो जनसंघ के समय से पार्टी से जुड़े थे. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव भी जनसंघ से ही लड़ा था और देवास-शाजापुर सीट से जीत हासिल की थी. फूलचंद वर्मा देवास सीट (पहले शाजापुर नाम ) से 4 बार और 1 बार उज्जैन सीट से सांसद रहे. अपने सभी लड़े चुनावों में वो केवल एक बार 1984 में हारे थे.
कैसा था चुनावी सफर
फूलचंद्र वर्मा 1971 में उज्जैन से पहली बार सांसद बने थे. तब उज्जैन जिले की सभी सीटों के अलावा सोनकच्छ, खातेगांव व हाटपिपल्या विधानसभा सीटें इसमें थीं. आपातकाल के बाद देवास-शाजापुर सीट में देवास, हाटपिपल्या और सोनकच्छ विधानसभा सीटें आ गईं और खातेगांव भोपाल लोकसभा सीट में चली गईं तब वर्मा 1977 में यहां से लड़ने लगे और चार बार जीते. वो केवल एक बार 1984 की इंदिरा लहर में हार गए.