जोबटः MP By Election 2021: मध्य प्रदेश में इस बार चार सीटों पर उपचुनाव (MP By Election) होने वाले हैं. इनमें एक लोकसभा (Loksabha By Election) व तीन विधानसभा सीटों (Vidhan Sabha By Election) पर कब्जा जमाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी पूरा दमखम लगा रही हैं. इन सीटों के नतीजों से प्रदेश की सत्ता पलटने का कोई चांस नहीं, लेकिन इन क्षेत्रों में दोनों ही पार्टियां अपनी स्थिति को और भी मजबूत करने पर फोकस्ड नजर आ रही हैं. इस उपचुनाव से पहले हम लेकर आए हैं चारों सीटों का डिटेल में एनालिसिस. जातिगत समीकरण से लेकर सिम्पैथी वोट का पूरा गणित, यहां जानें जोबट सीट (Jobat Seat) की डिटेल में रिपोर्ट.

 

सीट का नाम जोबट विधानसभा
मतदाता 2,75,000
पुरुष 1,37,638
महिला  1,37,567

 

जातिगत समीकरण

जोबट विधानसभा सीट अलीराजपुर जिले में आती है, इस सीट पर 97 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं. भील, भिलाला और पटलिया यहां की प्रमुख जातियां हैं, इनमें 40 फीसदी भील, 5 फीसदी पटलिया और 55 फीसदी भिलाल समुदाय के वोटर हैं. कांग्रेस उम्मीदवार महेश रावत और बीजेपी उम्मीदवार सुलोचना रावत दोनों ही अनुसूचित जनजाति के भिलाला समुदाय से हैं. बता दें कि जोबट सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. 

 

जोबट विधानसभा सीट का इतिहास 

जोबट सीट मध्य प्रदेश राज्य बनने के बाद से ही विधानसभा का हिस्सा है. यहां 1951 में पहली बार चुनाव हुए थे, तब सोशलिस्ट पार्टी के प्रेमसिंह ने जीत दर्ज की थी. जोबट सीट अलीराजपुर जिले में आती है, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस सीट पर भिलाला जाति के वोटर्स का दबदबा रहा है. भिलाला वोटर ही इस सीट पर जीत में अहम भूमिका निभाते हैं, इसी कारण कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने भिलाला समुदाय के उम्मीदवार को इस उपचुनाव में टिकट दिया.

 


 

सीट पर कौन सी पार्टी करती है डॉमिनेट?

1951-52 में देश में पहली बार चुनाव हुए, तब जोबट सीट पर भी चुनाव हुए. लेकिन 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश राज्य के गठन के बाद 1957 में यहां विधानसभा चुनाव हुए. 1957 से अब तक यहां 14 बार विधानसभा चुनाव हुए. तब से यहां कांग्रेस ने 11 बार जीत दर्ज की, बीजेपी ने दो बार और सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार ने 1962 विधानसभा चुनाव में एकमात्र जीत दर्ज की थ.

 

इन नतीजों को देख कर साफ है कि इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का दबदबा रहा है. लेकिन पिछले चार चुनावों की बात करें तो कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही दो-दो बार जीत दर्ज की. ऐसे में दोनों ही पार्टी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. 

 

क्यों हो रहे हैं उपचुनाव?

जोबट सीट पर 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार कलावती भूरिया ने जीत दर्ज की थी. 15 अप्रैल 2021 को कोरोना से संक्रमित होने के बाद उन्हें इंदौर जिला अस्पताल में भर्ती करवाया गया. करीब 10 दिनों तक वायरस के खिलाफ लड़ने के बाद उन्होंने अपनी जान गंवा दी. उनके मरणोपरांत जोबट सीट पर उपचुनाव हो रहा है. 

 

वह पूर्व केंद्रीय मंत्री और दिग्गज कांग्रेस नेता कांतिलाल भूरिया की भतीजी थीं. 2018 में पहली बार विधायक बनने से पहले वह झाबुआ और अलीराजपुर जिले में विभिन्न समितियों की सदस्य रहीं. 1990 में सरपंच बनीं और 2000 से 2018 तक झाबुआ जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहीं.

 


 

जोबट उप चुनाव में मुद्दे

जोबट विधानसभा सीट पर दोनों ही पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी. साथ ही पार्टियों ने अपने-अपने मुद्दे भी जनता के सामने रखे, जिनके बल पर वे इस उप चुनाव को लड़ रहे हैं. 

 

कांग्रेस के 15 महीने!

15 महीनों की कांग्रेस सरकार में उनकी उपलब्धियां और BJP सरकार की विफलता के मुद्दे पर पार्टी चुनाव लड़ेगी.

 

बिजली- 100 रुपये में 100 यूनिट बिजली और किसान ऋण माफी योजना पर काम होगा.

गौशाला- हर गांव मे गौशाला जैसी योजनाओं के दम पर कांग्रेस जनता के बीच जाएगी.

महंगाई- डीजल-पेट्रोल के बढ़ते दाम के खिलाफ पार्टी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगी. 

बेरोजगारी- इलाके में बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दे को उठाते हुए क्षेत्र के लोगों के गुजरात और राजस्थान में हो रहे पलायन को कम करने पर ध्यान देगी. 

सहानुभूति- पार्टी दिवंगत कलावती भूरिया को सहानुभूति दिखाते हुए क्षेत्र में वोट मांगने पर जोर देगी. 

 

केंद्र और राज्य सरकार के दम पर वोट लेगी BJP!

केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की छवि के आधार पर BJP जनता से वोट की अपील कर रही है. 

15 महीने कांग्रेस सरकार के समय बेलगाम स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता और आम जनता से विधायक की दूरी भी इस चुनाव में बीजेपी के लिए एक मुद्दा होगा.

पिछले चुनाव में कांग्रेस द्वारा किए गए वादों का पूरा न हो पाना भी बीजेपी के लिए एक मुद्दा रहेगा. 

 

बीजेपी ने बागी को उतारा मैदान में

जोबट विधानसभा सीट पर अब तक 6 उम्मीदवारों ने नामांकन भरा, इनमें कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही कड़ी टक्कर होते नजर आ रही है. कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने वालीं सुलोचना रावत को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया. सुलोचना को उम्मीदवार बनाते ही बड़ी संख्या में माधो सिंह के सपोर्टर्स ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. लेकिन पार्टी ने माधो सिंह को ही इस उपचुनाव में जीत की जिम्मेदारी दी है, इससे भितरघात की संभावनाएं कम हो गई हैं. 

 

सुलोचना रावत 2003 में राज्य में कांग्रेस सरकार के दौरान राज्य मंत्री रहीं. इलाके में साफ-सुथरी छवि रखती हैं. इस सीट पर पिछले चुनाव में इनके पुत्र विशाल रावत ने बागी उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ते हुए 30 हजार वोट हासिल किए थे. माना जा रहा है कि अपने बेटे के राजनीतिक भविष्य को देखते हुए ही उन्होंने बीजेपी का दामन थामा. 

 


 

कांग्रेस ने दिग्गज नेता को दी जिम्मेदारी

कांग्रेस ने पार्टी के कद्दावर नेता महेश पटेल को इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया. माना जाता है कि अलीराजपुर में कांग्रेस की प्राण वायु महेश पटेल ही हैं. आर्थिक रूप से मजबूत होने के साथ ही संगठन में मजबूत होल्ड रखते हैं. वह अलीराजपुर कांग्रेस जिला अध्यक्ष हैं, लेकिन अलीराजपुर विधानसभा के रहवासी होने के कारण उन्हें उपचुनाव में नुकसान झेलना पड़ सकता है. 

 

पिछले चुनावों में क्या रहे नतीजे

विधानसभा चुनाव- 2018

2018 में कांग्रेस उम्मीदवार कलावती भूरिया ने 46,067 वोट हासिल कर बीजेपी के माधोसिंह डावर को 2056 वोटों के अंतर से हराया था. इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार विशाल रावत को 31,229 वोट मिले थे. इस बार माधोसिंह और रावत परिवार दोनों ही बीजेपी का सपोर्ट कर रहे हैं. 

 

विधानसभा चुनाव- 2013

2013 में कांग्रेस ने विशाल रावत को बीजेपी के माधो सिंह डावर के सामने मैदान में उतारा था. जो करीब 11 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे. कांग्रेस-बीजेपी के अलावा इस सीट पर बसपा, एनसीपी और सपा ने भी चुनाव लड़ा था. 

 

विधानसभा चुनाव- 2008

2008 में कांग्रेस ने वर्तमान बीजेपी उम्मीदवार सुलोचना रावत को उम्मीदवार बनाया था. जिन्होंने तब के बीजेपी उम्मीदवार माधो सिंह डावर को साढ़े 4 हजार वोटों के अंतर से हराया था. इस दौरान बसपा और सपा दोनों ही पार्टियों को मिलाकर करीब 6 फीसदी वोट मिले पाए थे. 

 

{इनपुटः कुलदीप कुमार, अलीराजपुर}

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