MP में संस्कृत पर बवाल! मंत्री ने कही ये बात, आखिर क्या हुआ था गुना के स्कूल में?
Guna News: गुना जिले के एक कॉन्वेंट स्कूल में छात्र को संस्कृत का श्लोक पढ़ने से रोकने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. ABVP और हिंदू संगठन के हंगामे के बाद अब इस मामले में संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र लोधी का बड़ा बयान सामने आया है.
Guna News: मध्य प्रदेश के गुना जिले में प्रार्थना के दौरान संस्कृत श्लोक पढ़ने का मामला बढ़ता जा रहा है. स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद अब इस पर प्रदेश के संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र लोधी का बयान सामने आया है. जिले के कॉन्वेंट स्कूल में श्लोक बोलने पर छात्र से माइक छिनने की घटना की हर ओर निंदा की जा रही है.
जानें क्या है मामला
मामला गुना शहर के वंदना कॉन्वेंट स्कूल का है. यहां 15 जुलाई की सुबह जब प्रार्थना हो रही थी. इस दौरान छात्र ने संस्कृत का श्लोक पढ़ना शुरु किया. इस पर प्रिंसिपल सिस्टर कैथरीन ने छात्र के हाथ से माइक छीन लिया और कहा कि स्कूल में ऐसी शायरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
भड़के हिंदू संगठन
इस मामले की जानकारी होते ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता और कुछ हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता आक्रोशित हो गए और स्कूल पहुंचे. स्कूल का मेन डोर बंद था तो सभी कार्यकर्ता दीवार लांघ कर स्कूल परिसर में घुसे और हंगामा करना शुरु किया. इस दौरान स्कूल ने मौके पर पुलिस बुला ली. दो घंटे तक स्कूल परिसर में जमकरर हंगामा हुआ. वे लगातार प्रिंसिपल से माफी मांगने की और FIR दर्ज करने की मांग करते रहे.
प्रिसंपिल के खिलाफ FIR
अखिल भारतीय विद्यार्थी संगठन और हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं की मांग और प्रदर्शन के बाद स्कूल के प्रिंसिपल सिस्टर कैथरीन के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है.
संस्कृति मंत्री ने की निंदा
प्रदेश के संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र लोधी ने घटना की निंदा की है. उन्होंने कहा- 'गुना की घटना निंदनीय है. किसी भी स्कूल में संस्कृत पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. सरकार प्रदेश के स्कूलों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाए जाने की दिशा में काम कर रही है. संस्कृत भारत की अपनी और प्राचीन भाषा है.' उनके मुताबिक गुना की घटना को लेकर सरकार और मुख्य्यमंत्री सख्त हैं.
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प्रिंसिपल सिस्टर कैथरीन ने मांगी माफी
इस मामले पर प्रिंसिपल सिस्टर कैथरीन ने बयान देते हुए कहा- 'विशेष दिन केवल अंग्रेजी में बोलने के लिए आरक्षित था, इसलिए छात्रों को रोक दिया गया था. वे सभी धर्मों का सम्मान करती हैं. फिर भी किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है तो उन्हें खेद है.'
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