आकाश द्विवेदी/भोपाल: ''जो भी बच्चा 12वीं में अच्छे नंबर लाएगा, उसे आगे की पढ़ाई खर्च करने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी..'' ये हम नहीं बल्कि प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान (shivraj singh chouhan) ने कहा था. लेकिन जब बच्चा 12वीं तक पहुंचेगा ही नहीं तो पढ़ाई का कैसे होगी? क्योंकि मध्यप्रदेश  की स्कूलों में टीचर (mp shortage teachers) है ही नहीं. जी हां, ये हम नहीं बल्कि एमपी एजुकेशन पोर्टल प्रदेश (mp education portal) शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है. 


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दरअसल  शिव 'राज' में मध्यप्रदेश की सरकारी स्कूलों के हाल बेहाल हो गए है. मनचाहे स्कूलों में ट्रांसफर (teacher transfer) से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई है. रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश की ढाई हजार से ज्यादा स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. क्योंकि  मनचाहे स्कूलों में ट्रांसफर की वजह से प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल खाली जबकि शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में सरप्लस शिक्षको की भरमार हो गई है.


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10 हजार ज्यादा स्कूल में बस एक शिक्षक
एमपी एजुकेशन पोर्टल के मुताबिक पूरे मध्यप्रदेश के 74 हजार सरकारी स्कूलों में से 2621 हजार स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. जबकि प्रदेश के 10 हजार से ज्यादा स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. अब आप ही सोचिए कि अगर ऐसी ही स्थिति रही तो कैसे स्कूलों का रिजल्ट सुधरेगा?


जानिए क्या स्थिति स्कूलों की
- प्रदेश के 10 हज़ार से ज्यादा स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के भरोसे हो रहे संचालित
- प्रदेश में 40 हजार के करीब अतिशेष शिक्षक स्कूलों में खाली बैठे.
- प्रदेश के 2621 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं, जबकि 10043 स्कूल सिर्फ एक शिक्षक के सहारे


महानगरों में स्कूलों की स्थिति
- भोपाल के ग्रामीण क्षेत्र फंदा और बैरसिया में 9 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है, जबकि 41 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक है. भोपाल के अन्य स्कूलों में 1159 सरप्लस टीचर हैं, जो खाली बैठे हैं.
-इंदौर में 11 स्कूल जहां एक भी शिक्षक नहीं है. 45 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक जबकि 1669 शिक्षक सरप्लस खाली बैठे.
-ग्वालियर में 23 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है. 137 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे. वहीं 1215 सरप्लस टीचर खाली बैठे.
-जबलपुर में 15 स्कूलों में एक भी टीचर नहीं. 135 में स्कूलों में सिर्फ एक टीचर. 966 सरप्लस टीचर खाली बैठे.


ट्रांसफर नहीं बनी गले की फांस!
आपको बता दें कि ये आंकड़े एजुकेशन पोर्टल पर अतिशेष शिक्षकों की सूची से सामने आए हैं. वहीं इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि एक तो टीचरों ने मनपसंद ट्रांसफर के लिए फॉर्म भरवा लिए. और सरकार मनचाहा ट्रांसफर देने के कारण हर जिले के ग्रामीण स्कूल के शिक्षकों ने शहरी स्कूलों में ट्रांसफर करवा लिए. इसका बोझ ग्रामीण स्कूलों पर पड़ा है. स्थान्तरण के बाद प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों को लेकर हालात सुधरते हुए नज़र नहीं आ रहे हैं. ये स्थिति ट्रांसफर के दौरान पहले से सरप्लस शिक्षकों के समायोजन न करने की वजह से बनी है. अब परीक्षाएं भी नजदीक हैं, ऐसे में बच्चों के भविष्य का क्या होगा.. इसका जिम्मेदार कौन होगा?