MP Election: मध्य प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव में रिश्तों पर सियासत भारी नजर आ रही है. बीजेपी ने पांचवीं लिस्ट में अपने कई सीनियर विधायकों को टिकट दिया है, जिसमें होशंगाबाद सीट से सीनियर विधायक सीतासरन शर्मा को फिर से टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने इस सीट उनके ही सगे भाई गिरजा शंकर शर्मा को टिकट दिया है, ऐसे में इस सीट पर  'भाई vs भाई' के बीच मुकाबला हो गया है. 


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सीतासरन शर्मा को तीसरी बार मौका 


सीतासरन शर्मा तीसरी बार इस सीट से विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में मध्य भारत की इस सीट पर मुकाबला दिलचस्प होगा. 2018 के विधानसभा चुनाव में सीतासरन शर्मा ने कांग्रेस के सरताज सिंह को हराया था. लेकिन इस बार उनका मुकाबला अपने ही सगे भाई गिरजा शंकर शर्मा से होगा. सीतासरन शर्मा 2013 से 2018 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं. पहले उनके टिकट कटने की अटकलें भी सामने आ रही थी, लेकिन आखिरकार बीजेपी ने उनके अनुभव पर भरोसा जताया है. 


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गिरजा शंकर शर्मा दो बार जीत चुके हैं चुनाव 


वहीं बात अगर कांग्रेस के प्रत्याशी गिरजा शंकर शर्मा की जाए तो वह हाल ही में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. गिरजा शंकर शर्मा का भी लंबा राजनीतिक करियर रहा है. गिरजा शंकर शर्मा दो बार विधायक के अलावा नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं, जबकि बीजेपी संगठन में भी उन्होंने बड़ी जिम्मेदारियां निभाई है. लेकिन बीजेपी से नाराज होकर उन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें होशंगाबाद-इटारसी विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है.


होशंगाबाद में 33 साल से शर्मा का परिवार का कब्जा 


खास बात यह है कि होशंगाबाद में बीजेपी और कांग्रेस में चुनाव कोई भी पार्टी जीते लेकिन यहां विधायकी शर्मा परिवार के पास ही जाएगी. राजनीतिक इतिहास को देखा जाए तो पिछले 33 सालों से इस सीट पर शर्मा परिवार का ही कब्जा रहा है. परिसीमन के पहले तक यह सीट इटारसी के नाम से जानी जाती थी, जहां से सीतासरण शर्मा विधायक रहे. 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट होशंगाबाद के नाम से जाने जानी लगी. 2003 और 2008 में गिरिजाशंकर शर्मा भाजपा से दो बार विधायक रह चुके हैं. जबकि  2013 में बीजेपी ने गिरिजाशंकर शर्मा की जगह उनके भाई डॉक्टर सीतासरन शर्मा को टिकट दिया था, 2013 और 2018 में डॉक्टर सीतासरन शर्मा यहां से चुनाव जीत चुके हैं. 


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