मध्य प्रदेश में वित्त विभाग ने दूसरे विभागों की मनमर्जी के खर्च पर रोक लगा दी है. दरअसल, वित्त विभाग की तरफ से आदेश जारी किया गया है कि अब 30 करोड़ से ज्यादा के कार्यों के लिए पहले वित्त विभाग की तरफ से परमिशन लेनी होगी, उसी के बाद पैसा मिलेगा, दरअसल, अब तक विभाग वित्त विभाग को योजना के लिए पैसे मांगते थे. लेकिन अब 30 करोड़ से ज्यादा के कार्यों के साथ-साथ पूरा ब्यौरा देना होगा, उसी के बाद परमिशन मिलेगी. 


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गाइडलाइन का करना होगा पालन 


दरअसल, एमपी के वित्त विभाग का कहना है कि प्रदेश में निर्माण और वन विभाग के अफसर 30 करोड़ से अधिक के भुगतान को लेकर जारी गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं, ऐसे में वित्त विभाग ने सभी विभागों को पत्र लिखते हुए 30 करोड़ से ज्यादा के भुगतान पर अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है. यानि अब अगर कोई भी काम 30 करोड़ की तय सीमा से ज्यादा में होना होगा तो उसे वित्त विभाग की तरफ से अप्रूवल मिलने के बाद ही शुरू करवाया जा सकेगा. 


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वित्त विभाग के आदेश के बाद अब 30 करोड़ के भीतर ही अफसर भुगतान कर सकेंगे, फ्लैगशिप योजनाओं को छोड़कर बाकी योजनाओं के भुगतान के लिए अब अनुमति अब अफसरों से लेनी होगी. वित्त विभाग ने सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिव को यह आदेश जारी किया है. बता दें कि इससे पहले भी 33 विभागों की 40 से अधिक योजनाओं का बजट पूर्व में मध्य प्रदेश सरकार रोक चुकी है. 


फिजूलखर्ची पर रोक 


इसे मध्य प्रदेश में फिजूलखर्ची पर रोक लगाने के तौर पर भी देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि सरकार ने विभागों की फिजूलखर्ची रोकने के लिए यह आदेश जारी करवाया है. दरअसल, इस बीच मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से लगातार कर्ज भी लिया गया है. ऐसे में वित्त विभाग फिलहाल कड़े निर्णय लेता नजर आ रहा है. 


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