MP News: मध्यप्रदेश के खरगोन में मां भगवती की आराधना का अनोखा नमूना देखने को मिला है. दरअसल एक साधु ने 9 दिनों से जमीन के अंदर समाधि ली हुई है. इस साधु की गजब साधना देखकर देवी के भक्त भी हैरत में है.  उनका पूरा शरीर जमीन के अंदर है तो वहीं उनका सिर सिर्फ बाहर निकला है. जानकारी के अनुसार वे  5 दिनों से इसी अवस्था में है. दशहरा तक  उनके इसी स्थिति में बने रहने की आशंका है. 


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समाधि के ऊपर  बोए हैं गेंहू के ज्वार 
गुजराती बाबा ने खरगोन के करौंदिया गांव की जमीन में समाधि ले रखी है. उन्होंने इस समय रोटी-पानी सब छोड़ रखा है. वे सिर्फ माता की भक्ति में लीन हो रखे हैं. सब लोगों के मन में बाबा को देख कर एक ही सवाल मन में उठता है कि आखिर बाबा अब तक जिंदा कैसे है. बता दें कि उनकी इस समाधि के ऊपर गेंहू के ज्वार बोए हैं. पांच दिन के अंदर ये ज्वार हरे-भरे दिखने लग गए हैं. बाबा कहते हैं कि 100 किलोमिटर के एरिया में हरियाली बनी रहती है. 


मंदिर के पास समाधि लेने का बताया राज 
खरगोन के करौंदिया गांव में बाबा ने जिस जगह पर समाधि ली है. इसके पास ही खाटू श्याम का मंदिर भी बन रहा है. गांव के लोग 4 करोड़ के करीब पैसे लगाकर ये भव्य मंदिर बनवा रहे हैं. बाबा को ये जगह समाधि लेने के लिए सही लगी. मंदिर को बनाने वाले लोगों से जुड़ने के लिए उन्होंने खेत में ही समाधि लेने का फैसला किया. इससे पहले बाबा ने चैत्र नवरात्रि में बारहद्वारी हनुमान मंदिर में समाधि ली थी. 


समाधि लेने के पिछे का कारण
गुजराती बाबा ने बताया कि वे इस अनोखी साधना के जरिए संसार का कल्याण, व्यसन मुक्ति और सनातन धर्म की एकता के लिए देवी की कठोर उपासना कर रहे हैं. बाबा ने कहा कि उन्होंने हवन पूजन करवाने के बाद 3 अक्टूबर के दिन ये समाधि ली है. उनकी ये समाधि दशहरे के अंतिम दिन समाप्त होगी. वे इस समाधि के समय दो चमच्च ही पानी पीते हैं ताकि उनकी नसें ना सुखें. 
 
देश के कई राज्यों में ले चुके हैं समाधि
इन गुजराती बाबा का पूरा नाम जगदीशानंद गुरु कल्याणदास महाराज है. इन्हें सब गुजराती बाबा कहकर बुलाते हैं. जानकारी के मुताबिक ये 33 साल से देवी की साधना में लगे हुए हैं. अब तक ये 24 या 25 समाधि ले चुके हैं. उन्होंने समाधि लेने की शुरूआत हिमालय से की थी. इसके बाद उन्होंने देश के गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में समाधि ग्रहण की. उन्होंने देश के हर राज्य में तीन समाधियां लेने का लक्ष्य तय किया है. मध्य प्रदेश में उनकी ये तीसरी समाधि बताई जा रही है. 


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बिजनेस छोड़ करने लगे भक्ति 
गुजराती बाबा मूल रूप से गुजरात के हैं. उनके मुंबई में खुद के दो मॉल्स थे. लेकिन समय के साथ इन्हें देवी की उपासना करके अच्छा लगने लगा. भक्ति में इतना लीन हो गए कि उन्होंने  सब कुछ त्यागकर हिमालय चले गए. साधु बनने के बाद उन्होंने सनातन धर्म और व्यसन मुक्ति के लिए लोगों को जागरूक किया. उनका परिवार भी है. जिसमें उनकी पत्नी और तीन बच्चे हैं. वे समय-समय पर उनसे मिलने भी जाते हैं. लेकिन अपान ज्यादातर समय भक्ति में बिताते है. 


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