MP Metro Project: श्यामदत्त चतुर्वेदी। भोपाल/इंदौर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में इंदौर (Indore Metro) और भोपाल (Bhopal Metro) के लिए ड्रीम मेट्रो प्रोजेक्ट का काम तेजी से चल रहा है. सरकार का पूरा प्रयास है कि चुनाव से पहले यहां मेट्रो दौड़ा दी जाए जिससे उन्हें विधानसभा चुनाव में इसका फायदा मिल सके. ऐसे अगर इंदौर और भोपाल में काम के रफ्तार की तुलना करें तो लगता है इंदौरियों से पहले भोपालियों को मेट्रो में पहले चढ़ने का मौका मिलेगा.


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प्रोजेक्ट फैक्ट
इंदौर मेट्रो और भोपाल मेट्रो दोनो ही प्रोजेक्ट पर काम साल 2018 में शुरू किया गया था. यानी करीब 4 साल का समय बीतने को है और अभी तक काफी काम होना बाकी रह गया है. अगर बात भोपाल की करें तो यहां 10 पिलर का काम अंतिम चरण में है और 90% डक्ट का काम लगभग पूरा हो गया है. वहीं इंदौर मेट्रो में अभी तक महज 70 फीसदी डक्ट का काम हुआ है.


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- इंदौर से 20 फीसदी आगे भोपाल मेट्रो
- डिपो के मामले में भोपाल से आगे इंदौर
- सितंबर में भोपाल मेट्रो ट्रायल का प्लान है
- भोपाल में फरवरी में बन जाएंगे दो स्टेशन


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इस मामले में इंदौर आगे
भोपाल ओवर आल भले ही इंदौर से आगे हो, लेकिन एक मामले में इंदौर आगे निकल गया है. यहां डिपो बनाने का काम राजधानी से आगे और ज्यादा तेजी से चल रहा है. भोपाल में ये काम सुभाषनगर डिपो साइट में पानी भर जाने के कारण पिछड़ गया. हालांकि बाकी मामलों में भोपाल में काम काफी तेजी के हो रहा है.


फरवरी में दो स्टेशन तैयार
भोपाल में बिजली लाइन बिछाने का लगभग 70 फीसदी काम पूरा हो गया है. दावा किया जा रहा है कि फरवरी तक भोपाल में दो स्टेशन इतने तैयार कर लिए जाएंगे की यहां यात्री आकर ट्रेन पकड़ सकें. हालांकि, ऐसा होगा नहीं क्योंकि मार्च के बाद से ही ट्रैक और सिग्नलिंग काम मार्च से शुरू होगा.


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सितंबर में ट्रायल का प्लान
भोपाल मेट्रो के लिए सितंबर में ट्रायल का प्लान किया जा रहा है. इसके लिए ताम तेजी से चल रहा है. पूरे प्रोजेक्ट में दिन रात मशीने चल रही है. अगर इसी रफ्तार से वाया डक्ट के साथ स्टेशन और डिपो का काम चलता रहा तो पूरी संभावना है कि सितंबर तक ट्रायल हो जाए और उसके बाद भोपाल की सान में एक और नाम जुड़ जाए.


8 साल पहले शुरू हुआ तो प्रोजेक्ट का सफर
बता दें भोपाल मेट्रो की चर्चा सबसे पहले साल 2014 में हुई थी. तब से लेकर आज तक 8 साल का समय बीत गया है. 2018 भूमि पूजन कार्यक्रम में प्रोजेक्ट को 2023 तक पूरा करने का वादा किया था. इस दौरान प्रोजेक्ट में 8 मैनेजिंग डायरेक्टर इस प्रोजेक्ट में काम कर चुके हैं. अभी 9वें डायडरेक्टर का कार्यकाल चल रहा है. देरी का एक ये भी कारण माना जा रहा है.


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