संजय लोहानी/सतना: रामनगर के बहुचर्चित गोलीकांड के 49 आरोपियों को 7 साल की सजा मिलने के बाद 24 घण्टे के अंदर क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश शासन के मंत्री रामखेलावन पटेल का आज केंद्रीय जेल जाना चर्चा का विषय बना हुआ है. चर्चा है कि वे रामनगर गोली कांड के सजायाफ्ता दोषियों से मिलने जेल पहुंचे. प्रदेश सरकार के मंत्री रामखेलावन पटेल ने कहा कि वो जेल में देखने आए हैं कि जेल में कैदियों को कोई तकलीफ तो नहीं है. मंत्री ने जेल में रामनगर कांड के बंदियों से तो मुलाकात की ही इसी मामले में एक अन्य बंदी भाजपा नेता से मिलने वे जिला अस्पताल भी जा पहुंचे. जेल सुपरिटेंडेंट ने बताया कि मंत्री जी जेल निरीक्षण में आए थे. जबकि जेल मैनुअल के मुताबिक यह गलत है.


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बहुचर्चित रामनगर गोली कांड में 20 वर्ष बाद भी अमरपाटन के द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अजीत कुमार तिर्की ने 49 दोषियों को अलग -अलग धाराओं में 7 साल के सश्रम कारावास एवं 4 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है. जिले में यह ऐसा पहला अदालती फैसला है. जिसमें एक साथ इतने अभियुक्तों को एक साथ सजा सुनाई गई. इन सभी बंदियों को सजा सुनाई जाने के बाद बुधवार को ही सतना केंद्रीय जेल ले जाया गया. 


मंत्री लाव लश्कर के साथ जेल पहुंच गए
मामले के दोषियों को जेल भेजे जाने के 24 घंटे भी नहीं गुजरे थे कि गुरुवार की सुबह अमरपाटन - रामनगर क्षेत्र के विधायक एवं प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास,पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल लाव लश्कर के साथ बंदियों से मिलने केंद्रीय जेल सतना पहुंच गए. उनके साथ रामनगर के पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष रामसुशील पटेल व कई अन्य समर्थक भी रहे. 


भाजपा नेता से मिलने अस्पताल पहुंचे
मंत्री जेल से निकले तो सीधे जिला अस्पताल जा पहुंचे. जहां सजायाफ्ता भाजपा नेता अरुण द्विवेदी स्वास्थ्य लाभ लेने भर्ती हुआ था. भाजपा नेता अरुण द्विवेदी को रामनगर कांड का मुख्य आरोपी बनाया गया था और उसे भी 7 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है. उसे अन्य बंदियों के साथ जेल में होना था, लेकिन वह बीमार बनकर अस्पताल पहुंच गया. मंत्री ने द्विवेदी से मुलाकात की,उसके पास बैठ कर चर्चा की और फिर वहां से निकल गए.


बोरियों और कार्टूनों में सामान भी ले गए थे:सूत्र
अब सवाल यह उठ रहा है कि अगर रामनगर कांड के बंदियों से मुलाकात का उद्देश्य नहीं था तो आखिर और कौन सी ऐसी वजह थी कि राज्यमंत्री रामखेलावन को पहले जेल और फिर जिला असप्ताल के निरीक्षण की सुध अचानक कैसे आ गई. सूत्र तो यह भी बताते हैं कि मंत्री जब जेल पहुंचे तो अपने साथ बोरियों और कार्टूनों में सामान भी ले गए थे. जिसे जेल कैंटीन के दरवाजे के बाहर रखा गया था.जिसको जेल कैंटीन के कर्मचारियों ने दबी जुबानस्वीकार भी किया. प्रश्न यह भी उठ रहा है कि क्या मंत्री इस तरह बिना किसी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अथवा अनुमति के जेल का निरीक्षण कर सकते हैं? उधर केंद्रीय जेल अधीक्षक लीना कोष्टा का कहना है कि मंत्री को अधिकार हैं. उन्होंने निरीक्षण किया और यहां लाइब्रेरी तथा प्रतीक्षालय बनवाने का आश्वासन भी दिया है.