भोपाल: एमपी के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को आदेश दिए कि प्रदेश में अवैध बाल संरक्षण गृहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. इधर राष्ट्रीय बल संरक्षण आयोग के निरीक्षण के बाद सामने आये फर्जी बाल गृह मामले में बड़ा एक्शन देखने को भी मिल गया. इस पूरे मामले में लापरवाही बरतने पर दो सीडीपीओ एक सुपरवाईजर को सस्पेंड कर दिया है. जबकि दो अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस थमाकर तीन दिन में जवाब तलब किया है.


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वहीं 26 बच्चियों के मामले में पुलिस का कहना है कि बच्चियां गायब नहीं हुई, बल्कि मन नहीं लगने पर अपने घर चली गई हैं. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी ट्वीट कर इसकी पुष्टि की है. बता दें कि महिला बाल विकास अधिकारी एवं सहायक संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी हुआ है. इसके अलावा कार्रवाई के बाद से ही संचालक फरार हो गया है. इसके अलावा संस्था फंडिंग की जांच शुरू कर दी गई है.



घर चले गई थी बच्चियां
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एसपी देहात प्रमोद कुमार ने कहा कि बच्चियों के गायब होने के मामले में पूछताछ की गई है और शुरुआती जांच में ये सामने आया है कि मन नहीं लगने के कारण बच्चियां अपने घर चले गई थीं. इसकी पुष्टि करवाई जा रही है.


दो अफसरों को कारण बताओं नोटिस
बता दें कि इस मामले में लापरवाही बतरने वाले दो सीडीओपी को निलंबित किया है. जबकि महिला बाल विकास अधिकारी सुनील सोलंकी एवं सहायक संचालक महिला बाल विकास रामगोपाल यादव को कारण बताओ नोटिस जारी किया है.


क्या था मामला?
जानकारी के मुताबिक  राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने दो दिन पहले 4 जनवरी को भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र के तारा सेवानियां स्थित आंचल बाल गृह का औचक निरीक्षण किया था. उनकी जांच में सामने आया कि मिशनरीज संस्था द्वारा संचालित ये बाल गृह की कोई मान्यता नहीं है. इसके अलावा संस्था के रजिस्टर में दर्ज बच्चियों की संख्या के अनुपात में 26 बच्चियां भी गायब मिली थी. जिसके बाद हड़कंप मच गया था.


इसके अलावा राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर बताया था कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के तारासेवनिया में राज्य बाल आयोग अध्यक्ष व सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से एक मिशनरी द्वारा संचालित अवैध बाल गृह का निरीक्षण किया. यहां की संचालक NGO  हाल तक सरकारी एजेन्सी की तरह चाइल्ड लाइन पार्ट्नर के रूप में कार्यरत रही है एवं इसने सरकारी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए जो बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए उनको बगैर सरकार को सूचना दिए बिना लाईसेंस चलाए जा रहे स्वयं के इस बाल गृह में गुपचुप ढंग से रख कर उनसे ईसाई धार्मिक प्रैक्टिस करवाई जा रही है.