MP News: देश भर में दिवाली की तैयारियां चल रही है. दिवाली को लेकर लोगों में जमकर उत्साह देखा जा रहा है. इसी बीच मध्य प्रदेश के रतलाम जिले से इससे जुड़ी हुई एक खबर सामने आई है. बता दें कि यहां श्मसान में दिवाली मनाए जाने की ऐसी ही एक अनूठी परंपरा है, जहां लोग श्मसान में खुशियां मनाते हैं, कई सालों से लोग इसका निर्वहन करते हुए आ रहे हैं. जानिए क्या है इसके पीछे की वजह. 


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श्मसान में दिवाली मनाने की परंपरा
रतलाम में श्मसान में दिवाली मनाए जाने की ऐसी ही एक अनूठी परंपरा है, जहां लोग शमशान में खुशियां मनाते हैं. श्मशान पर कई सालों से दीपावली मनाने की परम्परा चली आ रही है. जिसका निर्वहन दीपावली के एक दिन पूर्व रूप चौदस या नरक चौदस या फिर यम चौदस माने वाले दिन की जाती है. 


इसके अलावा दीपावली के एक दिन पहले रतलांम के श्मशान में चारों तरफ दिए जलाए जाते हैं, आतिश बाजी होती है. रंगोली बनाई जाती है बच्चे-बूढे, जवान हों या महिलाएं सभी यहां परिवार के साथ आते है और दीपावली की तरह धूमधाम से नाचते गाते खुशियां मनाते हैं. इस परंपरा को लेकर लोगों की मानें तो शुरुआत में कुछ लोग इस परंपरा के निर्वहन से जुड़े थे लेकिन अब कई ज्यादा लोग मिलकर अपने परिवार के साथ यहां आते हैं और श्मशान में दीपावली मनाते हैं.


लोगों की मानें तो इसके पीछे का मकसद पूर्वजों के साथ या जो दुनिया से चले गये उनके साथ दीपावली की खुशिया बांटना है. बताया जाता है कि यहां दीपावली के 1 दिन पूर्व यम चौदस का महत्व है. यही वजह है कि यहां के लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्मशान में दीप जलाते हैं. जो अपने परिवार को छोड़ भगवान के घर चले गए उन्हें याद कर उनके साथ मनाई दिवाली को याद कर उन पुण्यआत्माओं के साथ त्योहार की खुशियां मनाई जाती है. 


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