Forest Man Jagat Jyoti Dutta Passed Away: मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट कहा जाता है. यहां पर काफी संख्या में टाइगर पाए जाते हैं. यहां पर कई ऐसे वन हैं जहां टाइगर का दीदार करने के लिए देश- दुनिया से लोग आते हैं. इसी बीच वनों जुड़ी एक बुरी खबर सामने आई है. बता दें कि मध्य प्रदेश के फॅारेस्ट मैन जगत ज्योति दत्ता अब इस दुनिया में नहीं रहे. उनके निधन के बाद प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है. मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्य और देश में वन्यजीवों के संरक्षण में उनके असाधारण योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था.  इन्होंने एमपी को टाइगर स्टेट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जानिए इन्हें क्यों कहा जाता है एमपी का फॉरेस्ट मैन. 


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दौड़ी शोक की लहर 
फॅारेस्ट मैन जगत ज्योति दत्ता के निधन के बाद मध्य प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है. दत्ता ने 98 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दत्ता के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भारतीय वानिकी का स्तंभ बताया है. बता दें कि दत्ता ने अपने जीवन काल में एमपी के वनों और वन्यजीवों को महत्वपूर्ण योगदान दिया था. 


कौन हैं दत्ता 
जगत ज्योति दत्ता 1950 बैच के IFS अधिकारी थे, इन्होंने मध्य प्रदेश में वनों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. नागपुर साइंस कॅालेज से जूलॅाजी में इन्हें स्वर्ण पदक भी दिया गया था. ये साल 1984 में PCCF के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, राज्य में और देश में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए इन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया था. इसके अलावा इन्हे कई और सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है. 


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टाइगर स्टेट बनाने में भूमिका
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट बनाने में जगत ज्योति दत्ता की महत्वपूर्ण भूमिका थी. इन्होंने मध्य प्रदेश के पहले वन्यजीव वार्डन के रूप में राज्य की समृद्ध वन्यजीव विरासत की नींव रखी थी. इसके अलावा इन्हें राज्य के विभिन्न जैव- भौगौलिक क्षेत्रों में समृद्ध और विविध संरक्षित क्षेत्रों का नेटवर्क बनाने के दृष्टिकोण और दृढ़ता के लिए जाना जाता है. बता दें कि जबलपुर में राज्य वन अनुसंधान संस्थान के पीछे दत्ता ने खूब काम किया था और ये इंस्टीट्यूट इनकी ही सोच का प्रतिफल है. 


इनका जीवन पूरी तरह से वन्यजीवों और वनों पर समर्पित रहा, ये अपनी रणनीति के लिए देश भर में जाने जाते थे. इनकी रणनीति न केवल एमपी बल्कि अन्य दूसरे राज्यों में भी अपनाई गई. इसके अलावा एक दशक से भी अधिक समय तक इन्होंने भारतीय वन्यजीव संस्थान की फैकल्टी चयन समिति में पहले सदस्य के रूप में कार्य किया, इसके बाद इन्होंने अध्यक्ष पद पर भी अपनी बखूबी जिम्मेदारी निभाई. 


इनके योगदान को देखते हुए सेवानिवृत्त IFS अधिकारी ने लिखा कि टाइगर स्टेट के पीछ दत्ता का अथक प्रयास था. बता दें कि देश में पहली बार बाघों की गिनती में कुल 1800 में से 450 बाघ मध्य प्रदेश में पाए गए थे. इन्होंने अपने जीवन काल में वनों को विकसित करके प्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर पहचान दिलाई. जिसके लिए इनका नाम सम्मान के साथ लिया जाता है.