MP News: बीजेपी सांसद ढाल सिंह बिसेन को मिली राहत, इस गंभीर आरोप को कोर्ट ने बताया निराधार
MP News: मध्य प्रदेश के बालाघाट (Balaghat) से भाजपा सांसद ढाल सिंह बिसेन (Dhal Singh Bisen) को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कंकर मुजारे के आरोपी को निराधार बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.
MP News: जबलपुर। बालाघाट (Balaghat) से सांसद और बीजेपी नेता ढाल सिंह बिसेन (Dhal Singh Bisen) को जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) से बड़ी राहत दी है. उनके खिलाफ बहुजन समाज पार्टी (BSP) के प्रत्याशी कंकर मुजारे (Kankar Mujare) द्वारा लगाई गई चुनाव याचिका (election petition) को अदालत ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने मुजारे को आरोपो को निराधार बताया है. इस फैसले के बाद ढाल सिंह बिसेन ने राहत की सांस ली है.
याचिका में लगाए गए थे ये गंभीर आरोप
हाईकोर्ट ने सांसद ढाल सिंह के खिलाफ दायर चुनाव याचिका को न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने खारिज किया है. इस याचिका में कंकर मुंजारे ने आरोप लगाया था कि संपत्ति का उपयोग और ईवीएम में गड़बड़ी करके ढाल सिंह ने चुनाव जीता है. 2029 में याचिका दायर कर मुजारे ने कोर्ट से अपील की थी कि चुनाव को रद्द करते हुए दोबार इलेक्शन कराए जाएं. क्योंकि ये चुनाव गलत तरीके से जीता गया है.
ये भी पढ़ें: ठंड से राहत किसानों की आफत! अचानक बढ़े पारे से इन फसलों को होगा नुकसान
साक्ष्य पेश नहीं कर पाने पर याचिका खारिज
जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) की एकल पीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मतगणना के दौरान शिकायत को गंभीरता से लेते हुए ईवीएम की जांच की गई थी. इसमें EVM सही पाई गई है. याचिकाकर्ता ने आरोपों के संबंध में कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किया है. जिससे इस निराधार चुनाव याचिका को खारिज किया जाता है.
Itchy Scalp Treatment: सिर की खुजली में आजमाएं ये 4 जोरदार टिप्स, घर में होगा इलाज
निर्दलीय प्रत्याशी के नामांकन को भी दी गई थी चुनौती
बता दें कंकर मुजारे (Kankar Mujare) ने अपनी याचिका में एक निर्दलीय प्रत्याशी किशोर समरिते के नामांकन की स्वीकारिता को भी चुनौती दी थी. इसमें उन्होंने कहा था कि किशोर समरिते ने नामांकन पत्र में झूठी जानकारी दी थी. कोर्ट ने इसे पांच साल की सजा सुनाई है. जिसपर हाई कोर्ट से रोक लगी है. इसपर एकल पीठ ने कहा कि निर्दलीय प्रत्याशी को इतने वोट नहीं मिले थे कि वे भौतिक रूप से चुनाव प्रभावित कर सकें. इसके हाद याचिका खारिज कर दी गई.