Book Of Brass: अब तक आपने हमेशा किताब को हाथ में लेकर ही पढ़ा होगा, लेकिन क्या कभी ऐसी किताब के बारे में सोचा है जिसे पढ़ने के लिए आप उसे उठा ही न सकें. मध्य प्रदेश के इंदौर में एक वकील ने पीतल से किताब बनाई है. ये किताब महज 98 पन्नों की है, जिसका वजन 57 किलो है. अब इतनी भारी किताब तो कोई भी हाथ में उठाकर नहीं पढ़ सकता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

6 सालों में पूरी हुई किताब: लोकेश मंगल ने साल 2017 में इस बुक को बनाना शुरू किया था. इसमें किताब में 193 देशों के अद्वितीय प्रतीकों को शामिल किया गया है, जो 217 घंटे में बनकर पूरी हुई है. लोगों की मदद से इस किताब की लेजर प्रिंटिंग की गई है. 4 फुट लंबी ये पीतल की किताब 57 किलो की है.


ये भी पढ़ें- इन चीजों का दान करते ही छा जाती है कंगाली, नोट कर लें सभी नाम


193 देशों के संविधान का हिस्सा शामिल
पीतल की इस 98 पन्नों वाली बुक में संयुक्त राष्ट्र के 193 सभी सदस्य देशों के संविधान का कुछ ना कुछ हिस्सा है. ऐसे में लोकेश ने इस किताब का नाम भी 'संविधान' रखा है. यह बुक पीतल पर चित्रों को उकेर कर बनाई गई है, जिसे हजारों साल तक सहेज कर रखा जा सकता है. पीतल पर चित्र होने के कारण इसे सहेजकर रखा जा सकेगा. 


200 शहरों को लोगों ने की फंडिंग
लोकेश ने बताया कि इस किताब को बनाने के लिए भारतीय आर्थिक सहायता ली गई है. देश के करीब 200 शहरों के 42000 लोगों ने सिर्फ 1-1 रुपए की आर्थिक मदद की और  7 घंटे में उनके पास 42000 रुपए जमा हो गए. लोकेश मंगल ने आगे कहा, 'हम ऐसी चीज बनाना चाहते थे जो सालों साल तक बरकरार रह सके. 193 देश को संविधानों को चित्रों के माध्यम से समेटने का काम शुरू हुआ तो भाषा बहुत बड़ी समस्या थी. इसलिए हमने चित्रों को चुना, कागज की आयु सीमित होती है इसलिए हमने धातु को चुना.धर्म गुरुओं द्वारा पीतल को शुद्ध कहा गया है इसलिए हमने पीतल धातु का चयन किया, इसके निर्माण सहयोग में 350 लोगों ने सहयोग किया और लगभग 6 सालों तक इसके लिए काम किया.'


लोकेश ने बताया कि इस बुक में प्रत्येक देश का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह शामिल किया गया है. साथ ही वहां के बैंक, आर्मी, नेवी, राष्ट्रीय फल, पक्षी, पेड़, संस्कृति और न्याय व्यवस्थाओं की सभी चीजों को भी इस किताब में जगह दी गई है.