बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सेवा देने वाले स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल हई कानू (Abdul Hai Kanu) को जूतों की माला पहनाकर अपमानित किया गया है. इसका वीडियो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने एक्स पर शेयर किया है.
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बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों में हिंदुओं पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं, लेकिन अब प्रदर्शनकारी शर्मनाक हरकत पर उतारू हो गए हैं. बांग्लादेशी अपने स्वतंत्रता सेनानियों को भी नहीं छोड़ रहे हैं और युद्ध नायकों के खिलाफ जघन्य का को अंजाम दे रहे हैं. ताजा मामला स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल हई कानू (Abdul Hai Kanu) का है, जिन्हें जूतों की माला पहनाकर अपमानित किया गया है. इसका वीडियो बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने एक्स पर शेयर किया है.
अवामी लीग ने बताया- गरिमा और इतिहास पर हमला
अवामी लीग ने एक्स पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सेवा देने वाले एक गौरवशाली स्वतंत्रता सेनानी अब्दुल हई कानू (Abdul Hai Kanu) को जूतों की माला पहनाकर अपमानित किया गया है. कोमिला के चौड्डाग्राम उपजिला के एक सम्मानित स्वतंत्रता सेनानी कानू को उनके ही घर से बदमाशों के एक समूह और 1971 की स्वतंत्रता-विरोधी शासन के वर्तमान सहयोगियों द्वारा अपहरण कर लिया गया.'
अवामी ने आगे लिखा, 'यह निंदनीय कृत्य न केवल एक व्यक्ति पर हमला है, बल्कि हमारे देश की स्वतंत्रता के मूल्यों और हमारे मुक्ति संग्राम नायकों के सम्मान पर हमला है. हमारे युद्ध नायकों के खिलाफ इस तरह की जघन्य कार्रवाई बर्दाश्त नहीं की जा सकती. यह बांग्लादेश की गरिमा और इतिहास पर सीधा हमला है और हमें इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए.'
A proud freedom fighter, Abdul Hai Kanu, who served during the Liberation War, has been humiliated by being forced to wear a garland of shoes! Kanu, a revered freedom fighter from the Chauddagram upazila of Comilla, was abducted from his own home this morning by a group of… pic.twitter.com/qEIyIjKJ7Q
— Awami League (@albd1971) December 22, 2024
बांग्लादेश में क्यों बिगड़े हालात?
बांग्लादेश में इस साल जुलाई में छात्रों ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण को खत्म करने को लेकर प्रदर्शन शुरू किया था. छात्र साल 1971 बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए मुक्तियुद्ध में हिस्सा लेने वाले मुक्तियोद्धाओं के परिवारों को नौकरियों में मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने की मांग कर रहे थे. हालांकि, तब शेख हसीना ने प्रदर्शनों को खारिज करते हुए कह दिया कि छात्र अपना समय बर्बाद कर रहे हैं. इसके बाद आंदोलन उग्र हो गया, जिसके बाद सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 67 लोगों की मौत हो गई. 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने नौकरियों में एक तिहाई आरक्षण के विरोध में फैसला देते हुए इसे घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया, लेकिन छात्र संतुष्ट नहीं हुए और सरकार के सख्त रवैये से नाराजगी बढ़ती गई.
इसके बाद छात्रों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी और बड़ी संख्या में छात्र प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनकी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर आए. देखते-देखते यह प्रदर्शन उग्र होता गया, लेकिन सरकार ने छात्रों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिए सुलह की जगह दमन की नीति अपनाई. हजारों छात्रों को हिरासत में लिया गया, लेकिन फिर भी मामला शांत नहीं हुआ और 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना का तख्तापलट कर दिया गया. प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गईं और तब से भारत में ही हैं. इसके बाद सेना ने बांग्लादेश की की कमान संभाल ली और अंतरिम सरकार का गठन किया गया, जिसके प्रमुख मोहम्मद यूनुस हैं.