महेंद्र दुबे/दमोह। एमपी निकाय चुनाव में जैसे-जैसे टिकटों की स्थिति क्लीयर होती जा रही है. उसके बाद राजनीतिक दलों में टूट भी देखी जा रही है. दो दिन पहले ही दमोह में पूर्व मंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने पार्टी छोड़ी थी, जबकि आज भी जिले के एक बड़े नेता ने पार्टी छोड़ दी, जिसका असर नगरीय निकाय चुनाव में देखने मिल सकता है. 


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कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी 
दरअसल, दमोह में एक साथ कई दिग्गज नेताओं ने भाजपा कार्यालय जाकर सामूहिक रूप से अपने इस्तीफे सौंपे और पार्टी के क्रियाकलापों को गलत करार दिया. दमोह में तीन बार बीजेपी के जिला महामंत्री और युवा मोर्चा के जिलाध्यक्ष रह चुके रमन खत्री, पूर्व युवा मोर्चा और पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष रह चुके कपिल सोनी सहित कई कार्यकर्ताओं ने इस्तीफे दे दिए. इन सभी नेताओं को पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया का समर्थक बताया जा रहा है? वहीं दो दिन पहले मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने पार्टी से इस्तीफा दिया था. 


उपचुनाव के बाद से बनी है यह स्थितियां 
दरअसल, पूरा माजरा साल भर पहले दमोह में हुए विधानसभा उपचुनाव का है, जब कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हुए राहुल लोधी को भाजपा ने चुनाव मैदान में उतारा और राहुल के करारी हार हुई थी. इस हार का ठीकरा मलैया परिवार पर फोड़ा गया था, जहां जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ सहित एक साथ पांच मंडल अध्यक्षों को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. जबकि साल भर बाद भी उनकी वापसी की कोई पहल नहीं हुई. खुद सीनियर लीडर जयंत मलैया को पार्टी ने शोकाज नोटिस थमाया था हालांकि पार्टी ने उनको बाद में बीजेपी में लिया और प्रदेश कार्यसमिति में जगह भी दी, लेकिन मलैया समर्थकों को हासिये पर रखा गया. 


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अब जब चुनावी बिसात बिछी है तो मलैया समर्थक आक्रोश में है और वह भाजपा के समीकरण बिगाड़ने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. इस्तीफे देने के बाद इन नेताओं ने जो सवाल खड़े किए हैं उन सवालों ने दमोह में भाजपा की अंतर्कलह सड़क पर ला दी है. भाजपा से रुखसत हो रहे नेताओं ने सवाल किए हैं कि पार्टी 40 सालों से सेवा करने वाले जयंत मलैया को उपेक्षित क्यों कर रही है, इतना ही नहीं पार्टी के भीतर चल रही गतिविधियों और जिले में अपराध और भ्र्ष्टाचार के आरोप भी इस्तीफे देने वाले लोग लगा रहे हैं. 


दूसरे दलों में शामिल नहीं होंगे इस्तीफा देने वाले नेता 
हालांकि इन बागी नेताओं ने साफ किया कि वो किसी दल में शामिल नहीं होंगे, लेकिन निकाय चुनाव में समीकरण जरूर बिगाड़ेंगे. वहीं दूसरी तरफ भाजपा जिलाध्यक्ष प्रीतम लोधी का कहना है कि ये वो लोग थे जिनकी वजह से पार्टी को उपचुनाव में नुकसान हुआ था, प्रदेश नेतृत्व ने इन पर कार्रवाई की थी और अब चुनाव के दौरान उनका ये कदम सामने आया है, लेकिन इससे भाजपा पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है.


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