भोपाल: मध्य प्रदेश निकाय चुनाव के परिणाम इस बार कई मायनों में चौकाने वाले साबित हुए. सत्ताधारी बीजेपी अपनी साख बचाने में तो कामयाब हो गई 7 शहरों में उसके महापौर प्रत्याशी जीते, लेकिन चार नगर निगम उसके हाथ से निकल गए. बीजेपी से इतर कांग्रेस के लिए यह नतीजे किसी बूस्टर जैसे रहे, 3 प्रत्याशी जीते, लेकिन कई जगह उसके प्रत्याशी कम मार्जिन से हार गए. यानि नतीजे आने वाले समय के लिए चुनौतियां भी खड़ी कर गए. इन सबसे ज्यादा राजनीतिक सरगर्मियां मध्य प्रदेश में तीसरे दलों की एंट्री ने बढ़ा दी, जो बीजेपी-कांग्रेस के लिए भी बड़ा संकेत हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश की राजनीति अब तक दो दलीय यानि बीजेपी-कांग्रेस के तौर पर ही रही है. लेकिन निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी और एएमआईएम ने मध्य प्रदेश में जोरदार सियासी दस्तक दी है. 


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AAP को मिला निगम तो AIMIM को पार्षद 
मध्य प्रदेश में जब नगर निगम चुनाव का बिगुल बजा तो हर बार की तरह बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला माना जा रहा था. ऐसा नहीं है कि तीसरे दल चुनावी समर में नहीं थे. लेकिन किसी को इनके मुकाबले में होने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली जीत से लबरेज आम आदमी पार्टी ने मध्य प्रदेश निकाय चुनाव लड़ने का ऐलान किया, जबकि हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) ने भी अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला किया. जैसे-जैसे चुनाव आगे बड़ा तो इन दोनों पार्टियों की चर्चा प्रदेश के सियासी गलियारों में शुरू हो गई और जब नतीजे आए तो इन पार्टियों का पहली ही बार में कमाल भी दिखा. आम आदमी पार्टी ने न केवल सिंगरौली नगर निगम में महापौर का चुनाव जीता बल्कि प्रदेशभर में पार्टी के 17 पार्षद भी जीते. जबकि ग्वालियर में मेयर के चुनाव में पार्टी तीसरे नंबर पर रही 


वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM के भी चार पार्षद जीते, जबकि कई शहरों में पार्टी ने अपनी सियासी ताकत का एहसास दूसरे दलों को करवा दिया. औवेसी की पार्टी के दो पार्षद जबलपुर में जीते जबकि खंडवा और बुरहानपुर में भी एक-एक पार्षद जीता. इतना ही नहीं ओवैसी की पार्टी ने बुरहानपुर महापौर चुनाव में 10 हजार से ज्यादा वोट लेकर कांग्रेस का खेल बिगाड़ दिया, जबकि कई जगहों पर पार्षदों का खेल भी AIMIM ने बिगाड़ा. 


दोनों पार्टियों ने दिए भविष्य के संकेत 
सिंगरौली में जीत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा कि ''मध्यप्रदेश के सिंगरौली नगर निगम में मेयर पद पर जीत हासिल करने वालीं AAP उम्मीदवार रानी अग्रवाल सहित सभी विजेताओं और कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई. मेहनत से जनता के लिए काम कीजिए. देश के हर कोने में अब जनता आम आदमी पार्टी की काम की ईमानदार राजनीति को पसंद कर रही है''


वहीं निकाय चुनाव के परिणामों से AIMIM भी उत्साहित नजर आई. निकाय चुनाव के परिणाम को लेकर AIMIM चीफ ओवैसी ने वीडियो जारी कर मध्य प्रदेश की जनता को धन्यवाद दिया और कहा कि ''मप्र की जनता ने AIMIM के उम्मीदवारों को अपनी मोहब्बत और दुआओं से नवाजा है. उन्होंने यह भी कहा कि वह इंदौर, खरगोन और रतलाम नहीं आ सके लेकिन वह आगे यहा जरूर आएंगे. AIMIM का एमपी में सियासी सफर शुरू हो चुका है.'' 


2023 में भी चुनाव लड़ने की तैयारी 
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश में जिस तरह से इन दोनों दलों ने निकाय चुनाव में एंट्री की है उससे यह बात स्पष्ट है कि डेढ़ साल बाद 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह पार्टियां चुनाव पूरी ताकत के साथ लड़ेगी. अरविंद केजरीवाल और औवेसी ने अपनी-अपनी पार्टियों के लिए प्रचार भी किया था, जिसका उन्हें फायदा भी हुआ. हालांकि यह पार्टियां भले ही अभी उतनी मजबूत न हो जितनी होनी चाहिए. लेकिन उनकी कोशिश इस बात के लिए शुरू होगी कि मध्य प्रदेश में विकल्प की गुंजाइश है. जबकि अभी दूसरे चरण का रिजल्ट आना है, अगर यहा भी दोनों दलों को फायदा हुआ तो उनको और मजबूती मिल सकती है. 


क्या MP में दिखेगी तीसरी ताकत? 
मध्य प्रदेश में डेढ़ साल बाद 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में जिस तरह से तीसरे दलों ने निकाय चुनाव में मध्य प्रदेश में अपनी शुरुआत की है, उससे इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मध्य प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस से इतर तीसरा विकल्प भी दिखेगा. हालांकि मध्य प्रदेश के सियासी इतिहास पर नजर डाले तो अभी कुछ कहना जल्दबाजी भी हो सकता है. क्योंकि इससे पहले भी बसपा-सपा, गोंगपा ने मध्य प्रदेश में चुनाव लड़े और सफलता भी हासिल की, लेकिन ये पार्टियां सफलता को इतना बड़ा नहीं बना पाईं कि वह सरकार बनाने पर प्रभाव डाल सके, ऐसे में अभी एक दम कुछ कहना भी जल्दबाजी हो सकती है.


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