भोपाल: मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा हो चुकी है. नगरीय निकाय की तारीखों का भी जल्द ऐलान हो सकता है. इस बीच मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग ने बड़ा फैसला किया है. अब प्रदेश में पार्षद प्रत्याशियों को अपने चुनाव खर्च का हिसाब देना होगा. अभी तर नगरीय निकायों के अध्यक्षों को ही निर्वाचन व्यय देना होता था, लेकिन अब पार्षदों को भी खर्च का ब्यौरा देना होगा.


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पार्षदी के लिए निर्वाचन व्यय सीमा
नगरपालिक निगम

जनगणना 2011 के अनुसार 10 लाख से अधिक जनसंख्या पर 8 लाख 75 हजार और 10 लाख से कम जनसंख्या पर 3 लाख 75 हजार होगी


नगरपालिका परिषद
एक लाख से अधिक जनसंख्या पर 2 लाख 50 हजार और 50 हजार से एक लाख तक की जनसंख्या पर एक लाख 50 हजार और 50 हजार से कम जनसंख्या पर पार्षदों के निर्वाचन व्यय की अधिक व्यय सीमा एक लाख रूपए होगी.


नगर परिषद
नगर परिषदों के लिए अधिकतम व्यय सीमा 75 हजार रूपए होगी


महापौर के लिए व्यय सीमा
10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरपालिक निगमों में 35 लाख और 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगरपालिक निगमों में महापौर पद के अभ्यार्थियों के निर्वाचन व्यय की अधिकतम सीमा 15 लाख रूपये निर्धारित की गई है


राज्य निर्वाचन आयोग नगरीय निकाय निर्वाचन में पहली बार पार्षद पदों के निर्वाचन व्यय लेखा का प्रावधान किया. इसके पहले महापौर एवं अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के व्यय लेखा का संधारण किया जाता था. रिटर्निग आफीसर कार्यालय में निर्वाचन व्यय लेखा संधारण पर्यवेक्षण के लिए हेल्प डेस्क स्थापित करने के निर्देश भी दिये गए हैं. राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश में पहली बार ये व्यवस्था लागू की है.


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