शैलेंद्र सिंह भदौरिया/मुरैनाः चंबल की गोद में बसा मुरैना कभी बीहड़ के बागियों के लिए कुख्यात था लेकिन समय बदला तो चंबल में भी बदलाव आया है. अब मुरैना की पहचान बागियों के लिए नहीं बल्कि मीठी गजक के लिए होती है. नगर निगम चुनाव होने हैं और हर गली मोहल्ले में चुनाव की चर्चाएं हैं. ऐसे में हम यहां मुरैना नगर निगम के बारे में बता रहे हैं.


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2015 में बीजेपी ने कब्जाया मेयर पद
मुरैना नगर निगम साल 2015 में अस्तित्व में आया था. पहले यह नगर पालिका का दर्जा रखता था लेकिन 2013 के विधानसभा चुनाव में सीएम शिवराज सिंह चौहान और स्थानीय सांसद नरेंद्र सिंह तोमर ने इसे नगर निगम का दर्जा दिए जाने का ऐलान किया था. 2013 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो वादे के मुताबिक सीएम शिवराज ने मुरैना को नगर निगम का दर्जा दे दिया. मुरैना नगर निगम में 47 वार्ड हैं, जिनमें 2015 में हुए चुनाव में बीजेपी को 15, कांग्रेस को 18, बसपा को 5 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 9 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. वहीं मेयर पद पर बीजेपी का कब्जा हुआ और भाजपा के वरिष्ठ नेता अशोक अर्गल यहां मेयर चुने गए. 


नए प्रत्याशी मैदान में
इस बार कांग्रेस की तरफ से शारदा राजेंद्र सोलंकी और बीजेपी की तरफ से मीना जाटव मेयर पद की प्रत्याशी हैं. दोनों उम्मीदवार पहली बार चुनाव मैदान में हैं. शारदा सोलंकी के पति राजेंद्र सोलंकी 2015 में अशोक अर्गल से मेयर पद का चुनाव हार गए थे. इस बार चूंकि सीट महिला वर्ग के खाते में गई है तो राजेंद्र सोलंकी की पत्नी शारदा सोलंकी मैदान में हैं. वहीं भाजपा और आरएसएस से बीते 32 सालों से जुड़े मुकेश जाटव की पत्नी मीना जाटव उन्हें टक्कर देंगी. दोनों के बीच कांटे की टक्कर है. 


बीजेपी और कांग्रेस का जीत का दावा
निवर्तमान मेयर अशोक अर्गल ने मुरैना नगर निगम में विकास के बड़े-बड़े दावे किए हैं और अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के आधार पर ही वह इस बार फिर बीजेपी की जीत का दावा कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी शारदा सोलंकी का आरोप है कि बीजेपी कार्यकाल में मुरैना नगर निगम में कोई काम नहीं हुआ है और जगह-जगह गंदगी का माहौल है. लोग मूलभूत समस्याओं के लिए परेशान हैं. कांग्रेस प्रत्याशी ने अपनी जीत का दावा किया और कहा कि बीजेपी प्रत्याशी उनके लिए कोई चुनौती नहीं हैं.  


ऐसा है रिपोर्ट कार्ड
वहीं पूर्व महपौर के दावों की जांच करने जी मीडिया की टीम शहर के अलग-अलग इलाकों के दौरे पर निकली तो शहर को जौरी इलाके में सड़क पर पानी भरा मिला. वहीं ट्रांसफार्मर के तार भी खुले पड़े थे. जिससे हादसों की आशंका बनी रहती है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार कहने के बाद भी उनकी समस्या का निराकरण नहीं हुआ है. 


मुरैना नगर निगम में आसपास के 12 गांव भी शामिल हैं. जब हमारी टीम गांवों में विकास कार्यों का जायजा लेने पहुंची तो वहां भी लोगों ने आरोप लगाया कि कोई भी बड़ा काम नहीं हुआ है. लोगों ने साफ-सफाई, स्ट्रीट लाइट और सड़कों की बुरी हालत का मुद्दा उठाया. हालांकि शहर के जीवाजी इलाके में लोग निवर्तमान मेयर के कामकाज से खुश दिखाई दिए और कहा कि अब उनके इलाके में सड़कों की हालत बेहतर है और प्रतिदिन सफाई भी होती है.