MP में पंचायत चुनाव का रास्ता साफ, क्या है थ्री लेयर टेस्ट रिपोर्ट जिसके बाद होंगे इलेक्शन
MP Panchayat Election का रास्ता साफ हो गया है. अब पंचायत चुनाव की गेंद कोर्ट से सरकार के पाले में आ चुकी है. थ्री लेयर टेस्ट रिपोर्ट (Three Layer Test) के बाद पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है.
आकाश द्विवेदी/भोपाल: एमपी में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election) का रास्ता साफ हो गया है. अब पंचायत चुनाव की गेंद कोर्ट से सरकार के पाले में आ चुकी है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगले 4 से 5 महीने में पंचायत चुनाव हो सकते हैं. बता दें अब थ्री लेयर टेस्ट रिपोर्ट (Three Layer Test) के बाद पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है. सरकार पहले ही कह चुकी है कि ओबीसी आरक्षण के साथ ही वो पंचायत चुनाव करवाने के पक्ष में है. इसे लेकर विधानसभा में संकल्प भी पारित हो चुका है.
थ्री लेयर टेस्ट करना होगा पास
कोर्ट के निर्णय के बाद अब ओबीसी आयोग की रिपोर्ट और सिफारिश के आधार पर सरकार आरक्षण पर फैसला लेगी. इसे लेकर मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग प्रदेशभर से ओबीसी वर्ग को लेकर आंकड़े जुटा रहा है. ओबीसी वर्ग को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट करवाना होगा. इसके तहत तीन काम करने होते हैं. पहली शर्त के रूप में राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित किया जा चुका है. इसके बाद दूसरा ओबीसी वर्ग के लोगों की गणना का काम भी चल रहा है. कलेक्टरों से ओबीसी मतदाताओं की जानकारी पंचायतवार एकत्र कराई जा रही है. इसके अलावा तीसरा काम है इसके आधार पर आयोग पिछड़ा वर्ग की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करके सरकार को प्रतिवेदन देगा. इस प्रतिवेदन के आधार पर आरक्षण तय होगा.
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सुप्रीम कोर्ट ने ये दिया फैसला
मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल टेस्ट नियम से ही आरक्षण तय किया जाएं. केवल मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि ओबीसी आरक्षण के मामले में दूसरे सभी राज्य इसी नियम का पालन करें. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को लेकर कहा कि मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव के लिए जारी किया गया अध्यादेश वापस हो चुका है. इसलिए अब सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है. अब इस मुद्दे पर सुनवाई नहीं होगी. अब ट्रिपल टेस्ट के बाद चुनाव की प्रक्रिया आगे बढ़ाएं. ओबीसी आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, एमपी सरकार, महाराष्ट्र सरकार और ओबीसी संगठन की याचिकाओं को क्लब करके सुनवाई की थी.
क्या है आरक्षण का ट्रिपल टेस्ट
राज्य में आरक्षण के लिए स्थानीय निकाय के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की जांच के लिए आयोग की स्थापना होती है. आयोग की सिफारिशों के मुताबिक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट किया जाता है. साथ ही किसी भी मामले में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में कुल आरक्षित सीटों का प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए. ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर सरकार ने शुक्रवार शाम में एक बैठक बुलाई. जिसमें ट्रिपल टेस्ट को लेकर अन्य राज्य क्या फैसले ले रहे हैं, इसका पता लगाने के भी निर्देश सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं.
क्यों अटका था पंचायत चुनाव
मध्यप्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 फीसदी से ज्यादा है. मौजूदा स्थिति में देशभर में आरक्षण का प्रावधान 50 फीसद है जो कि एससी, एसटी, और ओबीसी वर्ग को मिलाकर है. बाकी की 50 फीसदी जनरल वर्ग के लोगों के लिए है. अगर मध्यप्रदेश के लिहाज से बात करें तो एमपी में 16 प्रतिशत एससी वर्ग के लिए, 14 फीसद ओबीसी वर्ग के लिए और एसटी वर्ग के लिए 20 फीसद आरक्षित है. जो कि संविधान के दायरे में आता है.
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