प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश में 2023 के विधानसभा चुनाव में भले ही अभी डेढ़ साल का समय बचा हुआ है. लेकिन बीजेपी और कांग्रेस ने प्रदेश के एक-एक वर्ग को साधने की तैयारियों में जुट गई है. सबसे ज्यादा सियासत प्रदेश के आदिवासी वोटरों पर हो रही है. दोनों ही पार्टियां एक दूसरे को आदिवासी हितेषी और दूसरे को विरोधी बता रही हैं. अब बीजेपी ने कांग्रेस के जिला प्रभारियों की सूची पर निशाना साधा है. जिस पर कांग्रेस का कहना है कि हमारे प्रभारियों की सूची पर कांग्रेस को चिंता क्यों हैं. 


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मध्य प्रदेश की सत्ता की चाबी कहे जाने वाले आदिवासियों को साधने के लिए कांग्रेस और बीजेपी एक दूसरे पर आरोप लगाने का कोई मौका नहीं छोड़ते है. एक बार फिर प्रदेश की सियासत में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है. दरअसल, कुछ दिन पहले कांग्रेस ने प्रदेश के सभी 52 जिलों में नए प्रभारियों की नियुक्तियां की है, जिस पर बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने जिलों के प्रभारियों में आदिवासी नेताओं को जगह नहीं दी है. जिसके बाद से ही इस मुद्दे पर सियासत गर्मा गई है. 


बीजेपी ने कांग्रेस बताया आदिवासी विरोधी 
भाजपा का आरोप आदिवासियों के हित का ढिंढोरा पीटने वाली कांग्रेस ने 52 जिलों के प्रभारियों में कोई भी ट्राइबल लीडर को मौका नहीं दिया है. बीजेपी के प्रवक्ता राजपाल सिसोदिया का कहना है कि''विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विगत दिनों प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने हाल ही में 52 जिलों में प्रभारी नियुक्त किए, यह प्रभारी बूथ से लेकर जिला स्तर पर चल रही संगठनात्मक गतिविधियों की रिपोर्ट तैयार करेंगे प्रभारी नियुक्त होने के बाद से संगठन में सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या 52 में से एक भी आदिवासी नेता को प्रभारी नहीं बनाया गया.''


कांग्रेस का पलटवार 
वहीं बीजेपी के आरोपों पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया, कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि ''भाजपा की टीम हमें ना बताएं कि हमें क्या फैसले लेने हैं यह पीसीसी चीफ कमलनाथ जी ने फैसला लिया है, किसको कहां का प्रभारी बनाना है, क्या नियुक्ति देनी है. भाजपा बताएं कि उनकी सरकार के कार्यकाल में आदिवासियों का कितना भला हुआ है.''


MP में निर्णायक है आदिवासी वोट बैंक 
बता दें कि मध्य प्रदेश में आदिवासी वोट बैंक निर्णायक माना जाता है. एमपी में 47 विधानसभा सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जबकि आदिवासी लगभग 85 सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. लेकिन हाल ही में 52 जिलों में प्रभारियों की नियुक्तियों में आदिवासी नेताओं को जगह देने में कंजूसी कर कांग्रेस ने भाजपा को मौका दे दिया है. दोनों ही दल अपने आप को आदिवासी हितेषी होने का दावा करते है ऐसे में बीजेपी इस मुद्दे पर अब कांग्रेस को टारगेट कर रही है.