भोपाल। मध्य प्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से तेज हो गई हैं,  लेकिन जय आदिवासी युवा संगठन ''जयस''  ने कांग्रेस और बीजेपी की परेशानियों को बढ़ा दी हैं. आज धार जिले के कुक्षी में ''जयस'' महापंचायत का आयोजन करने जा रहा है, इस महापंचायत में देशभर के कई हिस्सों से लोग जुटेंगे. चुनावी समर से पहले जयस 2023 के लिए तैयारी में जुट गया है, दरअसल, जयस ने प्रदेश की सभी अदिवासी बहुल सीटों पर अपने उम्मीदवार भी उतारने की बात कही है, जिससे प्रदेश का सियासी पारा गर्माता हुआ नजर आ रहा है. जयस की महापंचायत को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

20 हजार लोगों के जुटने की संभावना 
धार जिले के कुक्षी में होने वाली जयस की महापंचायत में करीब 20 हजार लोगों के जुटने की संभावना जताई है, जयस के संरक्षक और विधायक हीरालाल अलावा खुद आयोजन की जिम्मेदारियां संभाल रहे हैं. महापंचायत को लेक हीरालाल अलावा ने कई इलाकों में पहुंचकर संपर्क किया और युवाओं को महापंचायत में आने के लिए आमंत्रण भी दिया. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में जयस  युवाओं को मौका देगी. इसके लिए महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें देश एवं प्रदेश स्तरीय 10 मुद्दों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें सबसे प्रमुख मुद्दा बेरोजगारी का होगा. हीरालाल अलावा ने कहा कि इस आयोजन में देश के कई राज्यों से लोग जुटेंगे. 


2018 में कांग्रेस को किया था समर्थन 
दरअसल, 2018 के विधानसभा चुनाव में जयस ने कांग्रेस को समर्थन किया था, जिसका असर नतीजों पर भी दिखा था, कांग्रेस ने आदिवासी बहुल सीटों पर अच्छी जीत दर्ज की थी, जिसके चलते चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और सत्ता तक भी पहुंची थी. जयस संरक्षक हीरालाल अलावा ने कांग्रेस के टिकट पर मनावर से चुनाव जीता था. लेकिन 2023 के चुनाव से पहले अब जयस बागी तेवर दिखाता नजर आ रहा है. बता दें कि जयस मध्य प्रदेश में आदिवासियों का बड़ा संगठन है, जो प्रदेश के सभी आदिवासी बहुल अंचलों में सक्रिए हैं, जयस ने हाल ही में हुए नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में भी अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई थी. ऐसे में जयस के बागी तेवर से न केवल कांग्रेस बल्कि बीजेपी की भी समस्या बढ़ सकती है. 


80 सीटों पर जयस का दावा 
महापंचायत से कुछ दिन पहले जयस संरक्षक हीरालाल अलावा ने बड़ा ऐलान किया था, उन्होंने प्रदेश की 80 सीटों पर जयस के झंडे तले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, अगर ऐसा होता है तो इससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हो सकता है. क्योंकि प्रदेश की सियासत में आदिवासी वोटबैंक सत्ता की चाबी माना जाता है, राज्य की कुल जनसंख्या का 22 फीसदी आदिवासी वर्ग से आता है. मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. जबकि 80 से ज्यादा सीटों पर आदिवासी मतदाता हार-जीत के समीकरण तय करते हैं, यही वजह है कि एमपी में सत्ता पाने के लिए आदिवासी वर्ग को साधना हर पार्टी के लिए जरूरी होता है, एक तरफ जहां पिछले कुछ समय से कांग्रेस और बीजेपी आदिवासी वर्ग को साधने की पूरी तैयारियों में जुटा है, तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में जयस की लोकप्रियता भी तेजी से बढ़ती जा रही है. एमपी में ही जयस के कार्यकर्ताओं की संख्या बढ़कर 6 लाख तक पहुंच गई है. वहीं देशभर में इस संगठन के कार्यकर्ताओं की संख्या करीब 25 लाख हो गई है. एमपी के जनजातीय बहुल इलाकों में जयस की मजबूत पैठ है. ऐसे में जयस की महापंचायत बीजेपी और कांग्रेस के चुनावी अभियान पर असर डाल सकती है. 


MP में आदिवासी वर्ग के लिए 47 सीटें 
प्रदेश में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं और 80 से ज्यादा सीटों पर इस वर्ग की पकड़ है, मालवा-निमाड़, महाकौशल और विंध्य अंचल आदिवासी बहुल माना जाता है, यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी आदिवासियों को अपने पाले में करने में जुटी है. बीजेपी सरकार ने भी हाल के दिनों में कई ऐसी योजनाएं लॉन्च की गई हैं, जिनमें आदिवासी कल्याण पर फोकस किया गया है. बीजेपी को आदिवासी वर्ग से आने वाली द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का भी फायदा मिलने की उम्मीद है. जबकि कांग्रेस भी कमलनाथ के नेतृत्व में प्रदेश के आदिवासी अंचलों में सक्रिए हैं, दरअसल, पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत में आदिवासी मतदाताओं ने बड़ी भूमिका निभाई थी. अब अगर जयस अपने दम पर चुनाव लड़ता है तो इससे कांग्रेस के समीकरण बिगड़ सकते हैं.