mp politics kamalnath cm shivraj: भोपाल। कमलनाथ 2023 विधानसभा चुनाव को लेकर हर वर्ग को साधने की तैयारियों में जुटे हैं. मध्य प्रदेश में बीजेपी को मात देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने बड़ा दांव खेला है. उन्होंने समाज के सभी वर्गों को साधने के लिए अभी से ही कई ऐलान कर दिए हैं. हालांकि उनके वादों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुटकी लेते हुए कहा है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती। सवा साल में नहीं पूरा कर पाए तो अब क्या करेंगे?


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कर्जमाफी और पेंशन पर किया वादा
पूर्व सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने एक के बाद एक चार ट्विट किए. इसमें उन्होंने शिवराज सरकार पर हमला बोलते हुए किसान कर्जमाफी, पुरानी पेंशन स्कीम समेत अन्य कई योजनाओं के सरकार बनने पर लागू करने की बात कही है. इतना ही नहीं उन्होंने प्रदेश में इन दिनों खाद की कमी क लेकर भी वादों और दावों पर चुटकी लेते हुए सरकार को कटघरे में खड़ा किया.


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मुख्यमंत्री ने ली चुटकी
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि उनके (कमलनाथ) ट्विटर की झूठी चिड़िया आज फिर उठ गई है. राहुल गांधी ने कहा था 10 दिन में कर्ज माफ कर देंगे. प्रदेश में सवा साल बाद भी वो अपने वादे को पूरा नहीं कर पाए. काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती. सवा साल में नहीं पूरा कर पाए तो अब क्या करेंगे? जनता समझदार है.


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देखिए कमलनाथ के ट्वीट में किए गए वादे


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कर्मचारियों की पेंशन पर ट्वीट
'शिवराज सरकार द्वारा बंद की गई सरकारी कर्मचारियों की पेंशन को मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही फिर बहाल किया जाएगा'. बता दें वो कई मौकों पर ये भी बताते रहे हैं कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकारों ने स्कीम लागू की है. हमारी सरकार बनी रहती तो हम भी करते.



किसान कर्जमाफी पर ट्वीट
'शिवराज सरकार द्वारा बंद की गई किसान कर्ज माफी की योजना मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार बनते ही फिर शुरू की जाएगी' इसके साथ ही उन्होंने शिवराज सरकार पर आरोप लगाया कि वो किसान को नाम पर केवल पब्लिसिटी स्टंट करते हैं. उन्होंने कह कि किसान की आय दोगनी करने का वादा करने वाले उसकी लागत तक वसूल नहीं करवा पा रहे हैं.



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2023 में बन सकता है मुद्दा
बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले किसानों की कर्ज माफी सबसे बड़ा मुद्दा बना था. कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी करने का वादा किया था, जिसके चलते पार्टी को 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़ा फायदा मिला था. हालांकि इसे लेकर कुछ काम हो पाता इससे पहले ही सरकार गिर गई. अब कमलनाथ के ट्वीट के बाद ये लग रहा है कि 2023 में भी ये मुद्दे पार्टियों के लिए चुनावों का सहारा बनेंगे.