MP News: सावन के चौथे सोमवार आदिल पठान बना आदित्य आर्य, शिव की पूजा कर अपनाया हिंदू धर्म
Khandwa News: खंडवा के सबसे प्राचीन महादेव गढ़ मंदिर में सावन के चौथे सोमवार को मुस्लिम युवक ने हिंदू धर्म अपना लिया. जिसके बाद आदिल पठान से युवक आदित्य आर्य बन गया है.
प्रमोद सिन्हा/खंडवा: खंडवा में आज एक मुस्लिम युवक ने हिंदू धर्म अपना लिया और आदिल पठान से आदित्य आर्य बन गया. खंडवा के प्राचीन महादेव गढ़ मंदिर में पूरे विधि विधान से उसे हिंदू धर्म में स्वीकार किया गया. युवक का कहना है कि वह पिछले कुछ वर्षों से अपने पिता के द्वारा अस्वीकार किया गया था. कई प्रयास भी किए पिता ने उसे नहीं अपनाया. युवक बाल्यावस्था से ही सनातन धर्म से प्रेरित था. युवक का कहना है कि उसने घर वापसी की है.
दरअसल खंडवा के सबसे प्राचीन महादेव गढ़ मंदिर में आदिल पठान ने सनातन धर्म अपनाया है. सबसे पहले उनका मुंडन किया गया, उसके बाद मंत्रोच्चार के बीच पूजा-पाठ और हवन किया गया. पंडित के मार्गदर्शन यह पूरी प्रक्रिया अपनाई गई. बाद में आदिल से आदित्य बने युवक ने सावन ने चौथे सोमवार को महादेव की पूजा भी की और मंत्र उच्चारण भी किया.
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परिवार ने नहीं दिया महत्व
युवक आदित्य आर्य का कहना है कि वह बचपन से ही सनातन धर्म से प्रेरित था. वह खंडवा के दादाजी धूनीवाले मंदिर में भी लगातार आता जाता रहता था. उसने बताया कि पिछले धर्म (मुस्लिम) में बहुत सी चीजें ऐसी थी, जो उसे स्वीकार्य नहीं थी. साथ ही परिवार में भी माता और पिता के द्वारा उसे उचित महत्व नहीं दिया जा रहा था. इसलिए उसने महादेव गढ़ मंदिर में सनातन धर्म अपना लिया. युवक का कहना है कि यह काम पूरे होशो हवास में उसने स्वयं किया है, इसके लिए किसी का कोई जो या दबाव नहीं था.
अब शिव-पार्वती आदित्य के अभिभावक
महादेव गढ़ मंदिर के संरक्षक अशोक पालीवाल का कहना हैं कि यह युवक रात में मंदिर के पास आकर रो रहा था. जब उन्होंने उसकी समस्या पूछी तो उसने पूरा वाक्या बताया. युवक की इच्छा पर ही उसे सनातन धर्म में स्वीकार किया गया. पूरे विधि विधान के साथ उसने सनातन धर्म अपनाया है. उन्होंने कहा कि आज से इनके पिता महादेव और माता पार्वती होंगे और महादेव गढ़ मंदिर इनका परिवार होगा. सनातन धर्म में घर वापसी के पहले युवक के द्वारा शपथ पत्र पर प्रक्रिया भी अपनाई गई.
बता दें कि युवक खंडवा जिले का ही रहने वाला है. पहले उसके माता-पिता नर्मदा नगर में रहते थे, बाद में पिता के द्वारा दूसरी शादी करने के बाद खंडवा आ गए थे.