Jyotiraditya Scindia Political Journey: PM नरेंद्र मोदी ने आज लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली है. पूरा देश को इस महत्वपूर्ण पल का इंतजार था. मध्य प्रदेश के प्रमुख नामों में से एक गुना-शिवपुरी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को एक बार फिर मंत्री बनाया गया है. गौरतलब है कि पिछले मोदी सरकार में भी सिंधिया मंत्री थे.


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ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक विरासत
ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के वंशज ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीतिक विरासत समृद्ध है. राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधव राव सिंधिया, वसुंधरा राजे सिंधिया, यशोधरा राजे सिंधिया और खुद ज्योतिरादित्य ने भारतीय राजनीति को आकार दिया है, जिसमें सिंधिया परिवार का राजनीतिक प्रभाव काफी रहा है. सबसे खास बात ये है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया की गिनती उन नेताओं में होती है. जो काफी-पढ़े लिखें है. सिंधिया ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से MBA किया है. 


 

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कैसे हुई सिंधिया की राजनीति में एंट्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुरुआत में बैंकिंग में अपना करियर शुरू किया. हालांकि, 2001 में विमान दुर्घटना में अपने पिता माधवराव सिंधिया की असामयिक मृत्यु के बाद, सिंधिया ने राजनीति में कदम रखा और कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में गुना में अपने पिता की सीट से उप-चुनाव लड़ा और जीत हासिल की.


2007 में पहली बार बने मंत्री
सिंधिया का राजनीतिक सफर उल्लेखनीय रहा है. वे 2004 में गुना से फिर से चुने गए और 2007 में केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली. इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनावों में भी महाराज की जीत हुई. UPA 2 में उन्हें वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी देश की सत्ता से बाहर हो गई. हालांकि, सिंधिया अपनी जीत जीतने में कामयाब रहे. 


पिछली लोकसभा चुनाव में हुई थी हार
साल 2019 के लोकसभा चुनाव सिधिंया को बड़ा झटका लगा था. 2019 में उन्हें भाजपा के डॉ. कृष्णपाल सिंह यादव ने गुना से मात दी थी. इस हार और कांग्रेस पार्टी के भीतर की आंतरिक कलह के कारण 2020 में वो कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे. बाद में राज्यसभा के लिए चुने गए. 2021 में, उन्हें मोदी कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया.


2024 में शानदार जीत
2024 के लोकसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पारंपरिक सीट से भारी अंतर से जीत दर्ज की है. यह लोकसभा संसद में सिंधिया का पांचवां कार्यकाल होगा. गौरतलब है कि अपने राजनीतिक कौशल, अनुभव और सिंधिया परिवार की विरासत के कारण वे भारतीय राजनीति में एक अहम शख्सियत हैं.