MP NEWS: धर्मांतरण पर राष्ट्रीय बाल सरंक्षण आयोग की सख्ती, यतीमखानों पर छापा, लगाया गंभीर आरोप...!
Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर रविवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सख्ती दिखाई. आयोग ने राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपनी टीम के साथ भोपाल के यतीमखाने पर छापा मारा. कानूनगो ने कहा कि आज भोपाल के दारूल शफकत यतीम खाने के निरीक्षण के दौरान मैनज्मेंट ने दरवाजे पर ताला लगा दिया. यतीमखाना पंजीकृत नहीं था.
भोपाल/प्रमोद शर्मा: मध्य प्रदेश में धर्मांतरण को लेकर रविवार को राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने सख्ती दिखाई. आयोग ने राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपनी टीम के साथ भोपाल के यतीमखाने पर छापा मारा. कानूनगो ने कहा कि आज भोपाल के दारूल शफकत यतीम खाने के निरीक्षण के दौरान मैनज्मेंट ने दरवाजे पर ताला लगा दिया. यतीमखाना पंजीकृत नहीं था.
कानूनगो ने कहा कि हमारे अधिकारी अंदर जाने के लिए पुलिस से सहयोग मांग रहे हैं. यतीमखाना पंजीकृत नहीं है. कुछ साल पहले FIR भी हुई थी फिर भी अभी भी यतीमखाना चल रहा है. प्रियंक कानूनगो ने कहा कि कट्टर वादी मानसिकता के लोग बिना अनुमति के यतीमखाना संचालित कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में अवैध यतीमखानों के संचालन होने की खबर है. हैरत की बात तो यह है कि यतीमखानों में औरंगजेब का पाठ पढ़ाया जाता है.
मिशनरी संस्थाओं पर लगाया धर्मांतरण कराने का आरोप
देवास जिले के आदिवासी अंचलों में दौरे के दौरान NCPCR ने दो अलग-अलग संस्थाओं का निरीक्षण किया. दोनों ही संस्थान मिशनरी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे थे. खुलेआम जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का उल्लंघन किया जा रहा है. देवास बागली, सोनकच्छ जैसे क्षेत्रों में मिशनरी संस्था फॉरेन फंडिंग से सभी बच्चे हिंदू धर्मावलंबी के माइंड वॉश और धर्म परिवर्तन करा रहे हैं. चर्च में बच्चे क्रिश्चियन प्रार्थना करते हैं बच्चों को ईसाई धार्मिक प्रार्थनाएं कंठस्थ हैं.
बच्चों से साफ कराए जाते हैं टॉयलेट
प्रियंक कानूनगो ने कहा कि हमारी टीम को यहां विदेशी फंडिंग व संस्थान के उच्च राजनीतिक संपर्क के प्रमाण भी मिले हैं. स्पष्ट है कि आदिवासी क्षेत्रों में रसूखदार लोग अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर के मासूम बच्चों के धर्मांतरण का गंदा काम कर रहे हैं. मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर विधिवत जारी किया जा रहा है. 10 साल से भी कम उम्र के मासूम बच्चों से परिसर में घास कटवाई जाती है. झाड़ू-पोंछा करवाया जाता है. यहां तक कि टॉयलेट भी साफ करवाए जाते हैं.