चंद्रशेखर सोलंकी/रतलामः शारदीय नवरात्रि के शुरू होते ही देश भर में देवी के मंदिरों में नौ दिनों तक विशेष पूजा आराधना शुरू होने वाली है. वहीं रतलाम जिले के वर्षो पुराने प्रसिद्ध कालिका माता मंदिर पर भी अब श्रधालुओं का हुजूम उमड़ने वाला है. यहां स्थित मां कालिका की महिमा बहुत निराली है. मां कालिका हर मनोकामना पूर्ण करती हैं.  नवरात्रि के साथ ही यहां साल भर मंदिर में माता के दर्शन और भक्ति के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस मंदिर का इतिहास बहुत रोचक है. आइए जानते हैं इस मंदिर के इतिहास और महत्व के बारे में...


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रतलाम के राजा ने बनवाया था मंदिर
दरअसल मंदिर में मां कालिका माता की प्रतिमा प्राचीन है. लेकिन इस मंदिर को रतलाम के राजा ने बनवाया था, मंदिर से लगा तालाब भी रानी झाली के द्वारा बनवाये जाने से इसका नाम झाली तालाब हुआ, शहर के मध्य होने के कारण वर्ष भर यहां श्रधालुओ का तांता लगा रहता है.


मां कालिका के 3 रूपों की होती है पूजा
मंदिर में मां कालिका रोज भक्तों को 3 रूपों में दर्शन देती हैं. भक्तों की आस्था है कि मां कालिका माता के सुबह बाल रूप में दर्शन होते हैं. दोपहर में युवावस्था में मां भक्तों को दर्शन देती हैं. तो वहीं शाम को मां कालिका वर्धावस्था में सभी भक्तों को आशीर्वाद देती है और मां के इन्हीं चमत्कारी स्वरूपों के दर्शन के लिए रोज श्रद्धालु यहां दूर-दूर से आते हैं और मां कालिका से अपनी मनोकामना पूरी होने का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.


परम्मपरागत रूप से होता है गरबा
यह मध्यप्रदेश में एकमात्र मंदिर है जहां सुबह 4 से 6 बजे तक गरबा कर मां कलिका माता की आराधना की जाती है. वहीं सबसे खास बात यहां होने वाले गरबा की यह है कि आज के आधुनिक युग में एक से बढ़कर एक आर्केस्ट्रा और डीजे के बावजूद यहां पुरानी परम्परागत तरीके से गरबा किया जाता है. सिर्फ ढोल की थाप और शहनाई की धुन के साथ महिलाएं मां के भजनों के गीत गाती हैं वहीं गरबा में आज भी परम्परागत सिर पर कलश में दिए लगाकर महिलाएं मां की आराधना करती हैं.


नवरात्रि में लगता है भक्तों का तांता
सुबह 3 बजे से श्रधालुओं की कतार नवरात्रि में मां कालिका के दर्शन के लिए लग जाती है, पूरे दिन श्रधालुओं का तांता नवरात्र में लगा रहता है, शहर की सड़कों पर सुबह 3 बजे से श्रद्धालु नंगे पैर मां कालिका माता के दर्शनों को जाते दिखाई देने लगते हैं. नवरात्रि के इन नौ दिनों में सुबह के दर्शन के लिए भक्तों का भारी सैलाब श्रधालुओ का मंदिर में दिखाई देता है.


400 साल पुराना है यह मंदिर
मन्दिर के पुजारी पंडित आकाश बताते हैं कि यह मंदिर करीब 400 वर्ष पुराना है. रतलाम के राजा भी यहां दर्शन करने आते थे, मंदिर में मां कालिका माता की प्रतिमा के 3 रूप में दर्शन होते हैं. जो भी भक्त मां का दर्शन करते हैं उन सबकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. श्रद्धालु बताते हैं कि यहां प्राचीन मन्दिर के अलावा सिद्ध पीठ भी है. रतलाम राजा द्वारा मंदिर का निर्माण किया गया था. वहीं रानी झाली के नाम से तालाब भी है. श्रद्धालुओं ने बताया कि यह एकमात्र मंदिर है जहां सुबह गरबा का परम्परागत तरीके से आयोजन होता है. सर पर कलश में दिए जलाकर आज भी यहां गरबा किये जाते है.