MP Politics: नए साल (New year) के जश्न के लिए होम बार लाइसेंस को लेकर एमपी में विवाद (home bar license controversy) खड़ा हो गया है. इसे लेकर विपक्ष लगातार हमलावर है और शिवराज सरकार (Shivraj Government) के लिए कह रहा है कि एक आप राज्य में शराब बंदी की बात कर रहे हैं. दूसरी तरफ सरकार खुद होम बार लाइसेंस देकर इसे बढ़ावा दे रही है. सरकार के इस कदम से घरों में भी माहौल खराब होगा. विपक्ष के साथ छिड़े इस विवाद पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा बिफरे नजर आ रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस पर बड़ा बयान दिया है. गृह मंत्री ने कहा एक दिन के होम बार लाइसेंस का नियम नया नहीं है. कांग्रेस खुद को देखे. 


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'कोई नया नियम नहीं बना' 
नरोत्तम मिश्रा ने कहा ये नियम कांग्रेस के दौर से ही चला आ रहा है, कोई नया नियम नहीं बना है. गृह मंत्री ने कहा इसमें कोई भ्रम की स्थिति नहीं रहनी चाहिए. बता दें नए साल के लिए आबकारी लाइसेंस के नया प्रावधान आया तो मध्य प्रदेश की सियासत में नया मुद्दा खड़ा हो गया. आबकारी विभाग ने घर पर शराब पार्टी करने के लिए लाइसेंस देने की व्यवस्था की है. इसके लिए सिर्फ 500 रुपये का शुल्क देना होगा. यानि अब नए साल की पार्टी में आप घरों भी तय संख्या में शराब ला सकते हैं. इस लाइसेंस नीति पर प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस तरुण भनोत ने भी शिवराज सरकार को जमकर सुनाई थी. 


'धर्म की राजनीति करने वाली पार्टी घर-घर बार खुलवा रही'
तरुण भनोत ने शिवराज सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि 'भगवान के नाम पर धर्म की राजनीति करने वाली पार्टी घर-घर बार खुलवाने की तैयारी कर चुकी है. हर घर में शराब पिलवा रही है. भगवान भी ऐसी सरकार को कभी माफ नहीं करेंगे. सरकार को अपनी आय बढ़ाने के लिए शराब के अलावा और कोई तरीका नहीं सूझ रहा है. शराब का मुद्दा सियासत का नहीं है बल्कि सीधे जनता से जुड़ा हुआ है'. वहीं नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा था कि ‘नया साल आने वाला है, इस तरह का आदेश लोगों को नशे में डूबो देगा. सरकार युवाओं को नशे में धकेलना चाहती है. ये योजना युवाओं के लिए ठीक नहीं है. शराब से सबसे ज्यादा महिलाएं परेशान हैं, लेकिन शिवराज सरकार पूरे प्रदेश को नशे में डुबोने में जुटी हुई है’


शराब के खिलाफ खुद शिवराज सरकार की नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी आवाज बुलंद किए हुए हैं. इसपर विपक्ष का कहना है कि सरकार के इस फैसले को एक तरह से उमा भारती की अनदेखी कहा जाएगा. इसमें कोई दो राय नहीं है क्योंकि उमा भारती काफी समय से प्रदेश में शराब बंदी की मांग कर रहीं हैं, लेकिन सरकार ने उनकी एक मांग भी नहीं मानी है.