भोपालः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मध्य प्रदेश सरकार को बड़ी राहत देते हुए मध्य प्रदेश पर लगे 3 हजार करोड़ रुपए के जुर्माने को माफ कर दिया है. बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार पर यह फाइन नदियों में सीवेज छोड़ने के मामले में लगाया गया था. जिस पर अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने छूट दे दी. एनजीटी ने साथ ही सरकार को अगले 6 महीनों तक नदी-तालाबों में मिल रहे सीवेज को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है. 


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बता दें कि मध्य प्रदेश में रोजाना पैदा होने वाले सीवेज और ट्रीटमेंट क्षमता में 1500 एमएलडी का अंतर है. इसका मतलब है कि अनट्रीटेड सीवेज रोजाना नदी तालाबों में मिल रहा है. हालांकि अब मध्य प्रदेश सरकार भी इसके समाधान को लेकर गंभीर हो गई है और इसके लिए सरकार ने 9000 करोड़ रुपए की राशि का आवंटन कर दिया है. 


एनजीटी की जस्टिस आदर्श कुमार गोयल, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और पर्यावरण विशेषज्ञ प्रोफेसर ए. सेंथिल की जूरी ने मध्य प्रदेश को जर्माने में राहत देने की वजह बताते हुए कहा कि एमपी सरकार के मुख्य सचिव इकबाल बैंस ने बिना तथ्यों को छिपाए साफगोई से गलती स्वीकार की. जिसके बाद जूरी ने सरकार को जुर्माने में छूट दे दी.2366 करोड़ की लागत से 565 एमएलडी ट्रीटमेंट क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट निर्माणाधीन हैं. साथ ही 7388 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को कैबिनेट से मंजूरी मिल चुकी है. 


बता दें कि एनजीटी ने सितंबर 2019 को सभी राज्यों को निर्देश दिया था कि 2020 तक सभी नदी तालाबों में सीवेज मिलने से रोका जाए. निर्देश का उल्लंघन करने वाले राज्यों पर प्रति एमएलडी 2 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया था. 


उल्लेखनीय है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बीते माह ही तेलंगाना सरकार पर भी 3800 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था. दरअसल तेलंगाना सरकार भी राज्य से निकलने वाले सॉलिड और लिक्विड प्रदूषण को मैनेज करने में नाकाम रही, जिसके चलते उस पर यह जुर्माना लगाया गया.