10 हाथियों की मौत पर NGT सख्त, इन अधिकारियों को जारी किया नोटिस, मांगा जवाब
Bandhavgarh Tiger Reserve: उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मौत के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संज्ञान लिया है. एनजीटी ने इस मामले में कई अधिकारियों को नोटिस जारी कर 12 दिसंबर से पहले जवाब मांगा है.
Umaria News: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मौत के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंभीरता से संज्ञान लिया है. एनजीटी ने कोदों की फसल में पाए जाने वाले माइसोटॉक्सिन पदार्थ पर चिंता जताते हुए इसे जानवरों के लिए हानिकारक माना है और टाइगर रिजर्व प्रबंधन को नोटिस जारी कर 12 दिसंबर से पहले जवाब मांगा है. इनमें प्रधान मुख्य वन संरक्षक (मध्य प्रदेश), कलेक्टर (उमरिया), भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के निदेशक, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के निदेशक और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव शामिल हैं. बता दें कि इन हाथियों की मौत 29 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच हुई थी.
कोदो खाने से हाथियों की मौत
इन जंगली हाथियों की मौत के पीछे की वजह जानने के लिए अलग-अलग एजेंसियों ने जांच की. उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) ने पुष्टि की कि मौतें अत्यधिक मात्रा में जहरीला कोदो खाने से हुई हैं, जिसके बाद पूरे देश में गांव की मुख्य फसल कोदो को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाओं को लेकर सवाल-जवाब का दौर अभी भी जारी है. इस मामले का संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने शुक्रवार को जांच के आदेश दिए हैं और पार्क के प्रबंधन को नोटिस भी जारी किया है.
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जानकारी के अनुसार कोदो में मौजूद फंगस में मौजूद माइकोटॉक्सिन के कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हुईं, जिसके कारण हाथियों की मौत हुई थी. इस तरह की फसल का पाया जाना चिंताजनक है, क्योंकि इससे वन्यजीवों और पशुधन दोनों के लिए खतरा पैदा होता है जो फसल के संपर्क में आ सकते हैं, यह मामला वन संरक्षण अधिनियम 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के उल्लंघन को दर्शाता है.
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NGT ने 12 दिसंबर तक मांगा जवाब
एनजीटी ने अपने आदेश में राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों को 12 दिसंबर को अगली सुनवाई से पहले एनजीटी की केंद्रीय क्षेत्रीय पीठ के समक्ष हलफनामे के रूप में अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनलने ने यह भी कहा है कि यदि कोई प्रतिवादी अपने कानूनी सलाहकार की सलाह के बिना जवाब दाखिल करता है, तो उसे एनजीटी की सहायता के लिए वर्चुअल रूप से उपस्थित होना होगा.
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