Nisha Bangre Case: रुपेश कुमार/बैतूल। मध्यप्रदेश की डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे का मामला दिनोदिन तूल पकड़ता जा रहा है. मामला कोर्ट में है. लेकिन, इस बीच अपना इस्तीफा मंजूर करवाने के लिए अब निशा बांगरे सड़क पर उतर आयी हैं. डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे अपने समर्थकों के साथ जुलूस की शक्ल में कलेक्ट्रेट पहुंचीं और यहां धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान निशा बांगरे एक अधिकारी नहीं बल्कि एक मंजे हुए राजनेता के रूप में नजर आईं.


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'मुझे चुनाव लड़ने से कोई नहीं रोक सकता'
निशा बांगरे सायद प्रदेश की ऐसी पहली डिप्टी कलेक्टर हैं जो कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दिया हो. निशा ने मध्यप्रदेश शासन पर न्यायपालिका को गुमराह करने के आरोप लगाते हुए चेतावनी दी है कि अगर तीन दिन में उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया तो वो आमरण अनशन पर बैठेंगी. उन्होंने कहा कि अब उन्हें कोई किसी भी हाल में उन्हें चुनाव लड़ने से कोई रोक नहीं सकता.


राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल के नाम ज्ञापन
उन्होंने कहा की मध्यप्रदेश सरकार को शर्म आनी चाहिए. क्योंकि जो डिप्टी कलेक्टर इस चौखट पर खड़े होकर ज्ञापन लेती थी उसे आज खुद ज्ञापन देना पड़ रहा है. निशा बांगरे ने अपना इस्तीफा स्वीकार करने के लिए एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, प्रमुख सचिव के नाम सौंपा है.


क्या है मामला?
निशा बांगरे ने किछ समय पहले एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए छुट्टी मांगी थी. लेकिन, छुट्टी नहीं मिलने पर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इतना ही नहीं उन्होंने सरकार पर मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था. मामले ने तूल तब पकड़ा जब GAD (जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट) ने उनके इस्तीफे को अमान्य कर दिया. तभी से ये बात सामने आने लगी थी की निशा चुनाव लड़ना चाहती हैं और सरकार उन्हें इससे रोकना चाहती है.


कोर्ट में है केस
सरकार की ओर से इस्तीफा अमान्य होने के बाद निशा बांगरे कोर्ट पहुंची हैं. कोर्ट से उन्होंने अपना पक्ष रखा है और सरकार पर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया है. उन्होंने बताया कि दलित होने के कारण सरकार ने उन्हें सर्व धर्म प्रार्थना में शामिल होने की अनुमति नहीं दी. इसके बाद इस्तीफा भी मंजूर नहीं किया.