छत्तीसगढ़ में अब पीपली की खेती पर फोकस, जानिए आयुर्वेद में इसका महत्व
छत्तीसगढ़ का सरगुजा प्रदेश के ठंडे इलाके के रुप में पहचाना जाता है. इसके लिए भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाठ में सेब की खेती को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी.
सरगुजा: छत्तीसगढ़ का सरगुजा प्रदेश के ठंडे इलाके के रुप में पहचाना जाता है. इसके लिए भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ का शिमला कहे जाने वाले मैनपाठ में सेब की खेती को बढ़ावा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन अब गर्म इलाकों में होने वाले मसाले पीपली यानी लॉन्ग पाइपर की संभावना भी सरगुजा में दिखाई देने लगी है. इसके लिए एक किसान ने सफल ट्रायल भी किया है. ये किसान जून से सितंबर माह के बीच इसकी खेती की तैयारी कर रहा है.
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वाड्रफनगर में इस मसाले टेस्टिंग
लाल मिट्टी में पैदा होने वाला ये मसाला अमूमन भारत के दक्षिणी क्षेत्र में पाया जाता है. इसकी टेस्टिंग किसान राहुल मिश्र ने वाड्रफनगर में की है. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक राहुल ने बताया कि वो लगातार खेती औ मौसम पर रिसर्च करते है. वे अपने खेतों में अलग-अलग प्रकार की फसलें मौसम के मुताबिक लगाते हैं..
लाल मिट्टी पीपली के लिए उपयुक्त
किसान ने बताया कि पीपली लाल मिट्टी में अच्छे से उगाई जा सकती है. क्योंकि लाल मिट्टी नमी सोखने की क्षमता होती है. आसाम के कई क्षेत्रों में तो ये पीपली अच्छे से उगती है. वहीं पान की खेती वाले इलाके में भी इसकी उपज अच्छी होती है.
गर्म जलवायु की जरूरत
अपनी अच्छी बढ़त के लिए पीपली को गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है. हालांकि भारी बारिश वाले इलाके में भी इसकी बढ़त अच्छी होती है. वहीं ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर इसकी पैदावार अच्छी होती है.
आयुर्वेद की महत्व
पीपली का आयुर्वेद में भी विशेष महत्व माना गया है. इसका उपयोग अस्थमा और ब्रॉकाइटि के उपचार के लिए किया जाता है. साथ ही इसका उपयोग खांसी और पेट में गैस की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जाता है. साथ ही कैंसर के इलाज में भी कारगर भूमिका निभाता है, जिस पर शोध जारी है.