MP News: प्रमोद शर्मा/भोपाल। मध्य प्रदेश में सामने आया नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा छात्रों के भविष्य के लिए चिंता का विषय बन गया है. करीब सवा लाख छात्रों ने तीन साल से एक भी क्लास नहीं की है. मामले की जांच CBI के पास है. घोटाले से जुड़े कई सच अब तक सामने आए हैं. लेकिन, अभी नर्सिंग छात्रों के दोषियों से पर्चा नहीं उठ पाया है. ऐसे में सवाल उठता है की युवाओं के भविष्य से खुल्ला खिलवाड़ करने का दोषी कौन है.


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कई रसूख वाले आएंगे जद में
CBI नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की जांच कर रही है. इसमें अभी तक पैसे लेकर कॉलेज मान्यता देने का आरोप लगभग पुख्ता होते नजर आ रहा है. आशंका जताई जा रही है मामले की जांच में आगे नर्सिंग काउंसिल की तत्कालीन कर्ताधर्ता समेत राजनैतिक रसूख वाले कई जिम्मेदार नेता भी जद में आ सकते हैं.


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कई कॉलेजों की मान्यता रद्द
नर्सिंग से जुड़े कोर्सेस बीएससी नर्सिंग (चार वर्षीय) और जीएनएम तीन वर्षीय की पढ़ाई की गलत मान्यता दी गई है. गलत मान्यता के मामले में 140 कॉलेज तक CBI की जांच बढ़ी है. मामला सामने आने के बाद से अभी तक प्रदेश में बड़ी संख्या में कॉलेजों की मान्यता रद्द की गई है.


कागजों में खुले कॉलेज
बताया जा रहा है मध्य प्रदेश में कई ऐसे नर्सिंग कॉलेज हैं जिन्हें मान्यता तो दे दी गई लेकिन, उनकी वास्तविक स्थिती को नहीं जांचा गया. ऐस में कई कॉलेज ऐसे हैं जिन्होंने ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए छात्रों का प्रवेश तो ले लिया. लेकिन, उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है. यानी वो केवल कागजों में खुले हैं.


हाईकोर्ट ने CBI की दी जांच
छात्रों के विरोध और मामले की गंभीरता को देखते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने मामले की जांच CBI को दी थी. मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायाधीश विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. इसमें CBI से कहा गया था की वो तीन माह में जांच कर रिपोर्ट पेश करे. बता दें इससे पहले कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ग्वालियर खंडपीठ CBI को मामला सौंपा था. जबलपुर हाईकोर्ट ने इसी आदेश में जांच के दायरे को बढ़ा दिया है.


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