Madhya Pradesh News: केंद्रीय कैबिनेट के वन नेशन वन इलेक्शन पर बनाई उच्च स्तरीय कमिटी की बात मंज़ूर करने के बाद से देशभर में बहस छिड़ गई है. मोदी सरकार का विश्वास है कि ये देश में चुनावी सुधार में बड़ा कदम होगा, लेकिन विपक्ष इससे सहमत नहीं है और लगातार विरोध कर रही है. राज्य स्तर पर भी विपक्षी पार्टियां इसपर एतराज जता रही हैं. मध्य प्रदेश में भी इसकी निंदा हो रही है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का कहना है कि पहले EVM हटाओ, फिर वन नेशन वन इलेक्शन की बात करो. 


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भाजपा की मंशा पर संदेह 
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा वन नेशन वन इलेक्शन देश की आर्थिक की स्थिति के हिसाब से तो ठीक है लेकिन वन नेशन वन इलेक्शन के पीछे भाजपा की मंशा क्या है यह स्पष्ट होना चाहिए. वन नेशन वन इलेक्शन के पीछे कई भाजपा की यह मंशा तो नहीं है कि जो EVM की गड़बड़ी के कारण चुनाव जीत रहे है. पहले EVM बंद होना चाहिए, उसके बाद ही वन नेशन वन इलेक्शन होना चाहिए.


राज्यों के कार्यकाल पर फर्क 
जानकार बताते हैं कि अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है तो कुछ राज्यों के कार्यकाल पर फर्क पड़ेगा. इसमें उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड शामिल है. इनके मौजूदा कार्यकाल में से 3 से 5 महीने कम हो जाएंगे. हिमाचल, मेघालय, गुजरात, नगालैंड, कर्नाटक, त्रिपुरा के कार्यकाल में से 13 से 17 महीने कम होंगे. इसके अलावा केरल, असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, प. बंगाल के भी कार्यकाल कम होंगे.

'सरकार बीच में गिरेगी तो कैसे इलेक्शन होगा'
मध्य प्रदेश की बात करें तो वन नेशन वन इलेक्शन पर सियासी आर पार जारी है. कांग्रेस जहां एक और वन नेशन वन इलेक्शन पर निशाना साधते हुए विरोध कर रही है तो भाजपा इलेक्शन से देश को एकजुट और विकासशील होने की बात कह रही है भाजपा.  पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन कैसे लागू होगा बीजेपी की तो तोड़ने और फोड़ने की पॉलिटिक्स है. कोई सरकार यदि बीच में गिरेगी तो कैसे इलेक्शन होगा. पहले वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर खाका सार्वजनिक करें. जयवर्धन सिंह ने कहा कि जो विधायक बीच मे स्वार्थ की खातिर पार्टी छोड़ेगा, उसे 10 साल के लिए चुनाव लड़ने से बैन किया जाए