Petrol ने बिगाड़ा खेल! जानिए तेल कंपनियां कैसे बढ़ाती हैं पेट्रोल की कीमतें
Petrol Diesel Price Hike: पेट्रोलियम मंत्रालय की पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल भी तेल की कीमतों पर नजर रखती है.
Petrol Diesel Price Hike: देश में एक बार फिर पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि शुरू हो गई है. बुधवार को पेट्रोल-डीजल के दामों में वृद्धि हुई थी और आज फिर से इनमें वृद्धि की गई है. शुक्रवार को दिल्ली समेत अधिकतर शहरों में पेट्रोल डीजल पर 80-80 पैसे की बढ़ोत्तरी की गई है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के चलते देश में तेल की खुदरा कीमतों में तेजी आ रही है.
कैसे होती है पेट्रोल डीजल के दाम की गणना
बता दें कि ऑयल मार्केटिंग कंपनियां जैसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन आदि रोजाना तेल की कीमतें रिवाइज्ड करती हैं. तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों, एक्सचेंज रेट, टैक्स स्ट्रक्चर और अन्य फैक्टर्स को ध्यान में रखकर तेल की कीमतें तय करती हैं. पेट्रोल-डीजल के दाम विभिन्न फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए रोजाना सुबह 6 बजे तय किए जाते हैं. वहीं पेट्रोलियम मंत्रालय की पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल भी तेल की कीमतों पर नजर रखती है.
भारतीय बाजार में महंगा क्यों मिलता है पेट्रोल
सबसे पहले तेल कंपनियां पेट्रोलियम उत्पादक देशों से कच्चा तेल खरीदती हैं. इसके बाद पेट्रोल डीलर्स या डिस्ट्रीब्यूटर्स तेल कंपनियों से तेल खरीदते हैं. इस पर केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी लगती है और राज्य सरकार भी इस पर वैट लगाती है. इसमें डीलर का कमीशन भी जुड़ता है. इसके बाद जो कुल दाम बनता है, वो खुदरा बाजार में पेट्रोल डीजल की कीमत होती है. अलग-अलग राज्यों में वैट की दर अलग-अलग होती है, इसलिए राज्यों में पेट्रोल डीजल की कीमतें भी अलग-अलग होती हैं.
इन वजहों से बढ़ते हैं तेल के दाम
भारतीय खुदरा बाजार में तेल की कीमतें बढ़ने की प्रमुख वजह अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल होता है. डिमांड और सप्लाई के असंतुलन, विदेशी संबंध और कई अन्य कारणों से कच्चे तेल की कीमतें प्रभावित होती हैं.
तेल की डिमांड बढ़ने पर भी तेल की कीमतें बढ़ जाती हैं. साथ ही देश और प्रदेश में तेल पर लगने वाले टैक्स का भी कीमतों पर असर पड़ता है. केंद्र सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लगाती है और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं. जिससे खुदरा बाजार में तेल महंगा मिलता है.
डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने पर भी तेल कंपनियों द्वारा तेल उत्पादक देशों से पेट्रोल की खरीद महंगी हो जाती है. इसके चलते भी भारतीय बाजार में तेल की कीमतों में इजाफा हो जाता है.